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पटना (आईएएनएस)| मंगलवार को पटना में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को विधानसभा की ओर नहीं जाने देने के बाद पासी समुदाय का विरोध मार्च हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस बेवजह उनके समुदाय के लोगों को ताड़ी बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि राज्य सरकार ताड़ी पर लगे प्रतिबंध को हटाए।
ताड़ी एक ऐसा पेय है जो आम तौर पर बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों द्वारा पीया जाता है। इसका प्रभाव शराब के समान होता है और इसलिए यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है। पासी समुदाय के लोगों का ताड़ के पेड़ से ताड़ी की खेती का पारंपरिक व्यवसाय है और इसे बेचकर वह अपनी आजीविका चलाते हैं।
प्रदर्शनकारी रवि कुमार ने कहा- 2016 में बिहार सरकार द्वारा शराब पर प्रतिबंध लगाने के बाद ताड़ी को भी इसी श्रेणी में रखा गया था। राज्य सरकार ने इसकी बिक्री पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई मौकों पर पासी समुदाय के लोगों से इसे नीरा के रूप में शुद्ध करने और फिर इसे बेचने की अपील की थी। शराब आसानी से उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग ताड़ी पीते हैं।
मौन विरोध के लिए मंगलवार को राज्य भर के लोग पटना में इकट्ठे हुए। वह विधानसभा का घेराव करना चाहते थे। जब वह इसके पास गोलचक्कर पर पहुंचे तो पुलिस ने सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी और उन्हें विधानसभा की ओर आगे नहीं बढ़ने दिया। इसको लेकर दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई। बड़ी संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और विधानसभा की ओर बढ़ गए।
जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिखी तो पुलिस ने रैली करने वालों पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने जवाबी कार्रवाई में पुलिस पर पथराव और ईंट-पत्थर फेंके। झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पथराव में कुछ मीडियाकर्मियों को भी चोटें आई हैं।
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