नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौरान दूसरों के लिए मददगार बने छात्र को भी कोरोना ने नहीं बख्शा. राजधानी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के एक होनहार छात्र की कोविड की चपेट में आने से मौत हो गई. 25 मई को कॉलेज के एक मेधावी छात्र का जाना प्रिंसिपल को भी झकझोर गया और उन्होंने कॉलेज की वेबसाइट पर छात्र के लिए एक भावुक नोट लिखा. राजस्थान के कोटा स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में हुई छात्र सत्यम झा (Satyam Jha) की मौत के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीज ने अपने नोट में लिखा कि कोरोना की यह दूसरी लहर पूरी तरह ह्रदयरहित है और हमारे खोखले दावों का खुलासा कर रही है. जिनमें कहा जाता है कि हमारा देश फार्मास्यूटिकल उत्पादों के उत्पादन में अग्रणी देशों में से एक है और हमारी सभ्यता जीवन को सबसे ऊंचे पायदान पर रखती है लेकिन जब जिंदगी ही चली गई तो इन दावों का क्या ही मतलब रह जाता है.
वर्गीज आगे लिखते हैं कि हममें से कोई भी अमर नहीं है. हां लेकिन हम सब अपनी बुद्धिमता और अनुभव को दूसरों के लिए उपयोग करें. एक दूसरे से प्रेम करें. एक दूसरे की मदद करें. इस महामारी ने हमें यह समझाया है कि जीवन मायने रखता है. फिर चाहे 18 साल का हो या 80 साल का. हमें प्यार से रहना चाहिए. हमें ऐसे जीना चाहिए कि अपने साथ ही हम उन लोगों के जीवन को भी बेहतर कर सकें जिनसे हम जुडे़ हैं.
बता दें कि छात्र की मौत पर कॉलेज के शिक्षकों ने भी नाराजगी जताई है. उनका आरोप है कि छात्र को सही तरीके से इलाज नहीं मिला, यही वजह रही कि उसने दम तोड़ दिया. शिक्षकों का कहना है कि सत्यम झा बेहद होनहार और होशियार छात्र था. वह सेंट स्टीफेंस में इतिहास (प्रथम वर्ष) का छात्र था. सबसे खास बात है कि जब से कोरोना की शुरुआत हुई थी सत्यम खुद कॉलेज में कोविड हेल्पलाइन चलाता था. उसने कितने ही छात्रों को कोरोना से उबारने में मदद की.वहीं सत्यम की मौत पर उसके परिवार का भी आरोप है कि कोटा में कोविड का सही तरीके से इलाज न होने की वजह से सत्यम की मौत हुई है. हाल ही में सत्यम दिल्ली से कोटा गया था जहां 13 मई को उसकी तबियत खराब हो गई. सत्यम को पहले कोटा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया, उसके बाद मेडिकल कॉलेज में छह दिन ICU में इलाज चला लेकिन आखिर में उसकी मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि अस्पताल ने लापरवाही की.
गौरतलब है कि सत्यम झा कोलकाता के जेवियर कॉलेज से बोर्ड की परीक्षा में 99 फीसदी अंक लाए थे. पिछले साल बीए ऑनर्स इतिहास में स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया था. वह न केवल कॉलेज की डिवेटिंग सोसाइटी के सदस्य थे बल्कि इतिहास विभाग के जर्नल तारीख के एडिटर भी थे. इसके साथ ही कॉलेज के गांधी-अंबेडकर स्टडी सर्कल के काउंसिल मेंबर भी थे.