ज्ञानवापी पर प्रोफेसर ने किया नया दावा, वहां पहले काशी विश्वनाथ मंदिर था...
सोर्स न्यूज़ - आज तक
यूपी. वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सर्वे के बाद से ही इस पर अध्ययन भी होने लगा है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर ने एक नया दावा किया है. उनका कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास में स्वरूप कैसा था, इस पर उन्होंने रिसर्च की है, जिससे पता चला है कि इतिहास में विश्वनाथ मंदिर के 6 मडपों को तोड़ा गया था. आज जहां ज्ञानवापी स्थित है, वहां पहले काशी विश्वनाथ मंदिर था.
BHU के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रो. शत्रुघ्न तिवारी ने कहा कि जिस तरह की परिचर्चा 17 मई के बाद शुरू हुई और यह देखा गया कि विश्वनाथ मंदिर के इतने भव्य स्वरूप के पीछे वास्तुकला निश्चित रूप से होगी.
इसी को लेकर वास्तु की दृष्टि से काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी पर कार्य करना शुरू किया. इस रिसर्च में पाया गया कि जिस स्थान को आज ज्ञानवापी कहा जाता है, वहां पर कभी काशी विश्वनाथ मंदिर हुआ करता था. उन्होंने कहा कि इसके बहुत सारे प्रमाण भी मिले हैं. ये सामान्य बात नहीं है. प्रसाद वास्तु की अपनी एक शैली है, जिसके तहत यह नागर शैली में निर्मित मंदिर है. इसको समझने के लिए काशी खंड की पुस्तक देखें या फिर वास्तु शास्त्र के आचार्य कार्यमंडन की बातों को देखें.