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प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर खड़े किए कई सवाल, बोली - भविष्य और भरोसा छीनना चाहती है'

Nilmani Pal
9 May 2022 12:43 PM GMT
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर खड़े किए कई सवाल, बोली - भविष्य और भरोसा छीनना चाहती है
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दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए भाजपा सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने अपनी पोस्ट में LIC के साथ देश की कई अन्य कंपनियों को निजी हाथों में देने का मुद्दा उठाया है. प्रियंका ने अपनी फेसबुक पोस्ट के साथ एक पोस्टर भी शेयर किया है. जिसमें लिखा है, LIC का नारा, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी. जबकि सरकार का नारा है, लुटेरों का साथ भी, लुटेरों का विकास भी.
कांग्रेस महासचिव ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि देश के तमाम पुरखों ने LIC जैसी कई अन्य संस्थान बनाए जिनसे देश के कई लोगों को रोजगार मिलता है और ये देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लोग अपनी मेहनत की कमाई का हिस्सा LIC में लगाते हैं, लेकिन भाजपा सरकार LIC को नीलाम करना चाह रही है.

उन्होंने पोस्ट की शुरुआत में लिखा, 'पं जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और हमारे तमाम पुरखों ने देश के लिए कुछ ऐसे संस्थान बनाए जो आज भी हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. जीवन बीमा निगम (LIC) भी उन्हीं में से एक है. मात्र पांच करोड़ रुपये से शुरू हुई LIC अब तक देश के विकास में 35 लाख करोड़ से ज्यादा का योगदान दे चुकी है. आज 30 करोड़ लोग इसके बीमाधारक हैं और तकरीबन 14 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. देश की आम जनता, डॉक्टर, मास्टर, वकील, लेखपाल, इंजीनियर, वर्कर, किसान, गरीब और मध्यवर्ग के लोग अपनी मेहनत की कमाई से छोटे-छोटे बीमा कराते हैं ताकि अपना और अपने बच्चों का भविष्य सु​रक्षित रख सकें. LIC में देश के करोड़ों मेहनतकश लोगों की गाढ़ी कमाई लगी है. LIC देश का रत्न है. मगर भाजपा सरकार अब देश के इस रत्न को नीलाम करना चाह रही है. ये सरकार LIC को बेचकर आपका भविष्य और भरोसा दोनों छीनना चाहती है.'

प्रियंका गांधी ने नोटबंदी और GST को गलत बताते हुए इस पर भी सवाल उठाया. उन्होंने लिखा, 'नोटबंदी, गलत GST, बिना योजना लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने की इस प्रक्रिया में पिछले सात सालों में LIC और ONGC जैसी देश की कई नवरत्न कम्पनियों को सरकारी दबाव का इस्तेमाल करते हुए श्री नरेंद्र मोदी जी के खरबपति मित्रों को हुए औद्योगिक घाटे और उनके कर्ज़ों को चुकाने के लिए मजबूर किया गया. उनकी घाटे की कंपनियां और डूबते प्राइवेट बैंकों को बचाने का बोझ LIC पर डाला गया. यहां तक कि LIC को डिफॉल्टर प्राइवेट कंपनियों को भी बचाने के लिए मजबूर किया गया.

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