कहा जाता है फिल्मों में दिखायी जाने वाली घटनाएं सच्चाई से परे होती हैं लेकिन, मंगलवार को कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह मिथुन चक्रवर्ती व जयाप्रदा अभिनीत बॉलीवुड फिल्म 'मुद्दत' की याद दिला जाता है। उसमें मिथुन चक्रवर्ती को बचाने के लिए वकील रहीं जया प्रदा ने वंश वृद्धि के लिए अपने क्लाइंट व पति मिथुन चक्रवर्ती को कुछ दिनों के लिए रिहा करने की मांग की थी। उसे जज ने जायज करार देते हुए वंशवृद्धि के लिए रिहा करने की इजाजत दी थी। पटना हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
जानकारों की मानें तो बिहार का इस तरह का यह पहला फैसला है। संतान पैदा करने के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को 15 दिनों का पैरोल दिया गया है। नालंदा जिले के रहुई थाना क्षेत्र स्थित उत्तरनावां गांव निवासी विक्की आनंद हत्या के आरोप में वर्ष 2012 से बिहारशरीफ जेल में सजा काट रहा है। उसकी पत्नी रंजीता पटेल ने वंश वृद्धि के लिए पैरोल देने की याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उसकी दलील को सही मानते हुए यह निर्णय लिया। युवक 15 दिनों के लिए जेल से बाहर आयेगा।
इस मामले से जुड़े हाईकोर्ट के वकील गणेश शर्मा ने बताया कि हत्या के आरोप में जिला न्यायालय ने उसे उम्रकैद की सजा सुनायी थी। नालंदा विधिक सेवा प्राधिकार के जेल विजिटर अधिवक्ता देवेन्द्र शर्मा की सलाह पर उसकी पत्नी ने वर्ष 2019 में उनके माध्यम से संतान की उत्पत्ति के लिए पैरोल पर छोड़ने की याचिका दायर की थी। सुनवाई में पत्नी ने दलील दी थी कि पति की उम्रकैद के कारण वह जीवनभर संतानहीन रह जाएगी। उसकी दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया। अभी तक न्यायालय स्वजनों के अंतिम संस्कार व शादी के लिए बंदियों को पैरोल देता रहा है। बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय में भी दिनभर इस निर्णय की चर्चा होती रही।