भारत
हमने सिख परंपराओं और विरासत को सशक्त बनाने का प्रयास किया : मोदी
Shantanu Roy
7 Nov 2022 4:48 PM GMT
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बड़ी खबर
नई दिल्ली। विभाजन में हमारे पंजाब, देश के लोगों ने जो बलिदान दिया, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरूआत भी की है। विभाजन के शिकार हिंदू-सिख परिवारों के लिए हमने CAA क़ानून लाकर उन्हें नागरिकाता देने का भी एक मार्ग बनाने का प्रयास किया है।
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री गुरु नानक देव की 553वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में हिस्सा लिया। pic.twitter.com/8AF9bCjcWy
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2022
3 साल पहले गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व उत्सव देश और विदेश में मनाया था। इन विशेष अवसरों पर देश को अपने गुरूओं का आशीर्वाद और प्रेरणा मिली है वह नए भारत के निर्माण की उर्जा बढ़ा रही है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी https://t.co/1rwEicWfkC pic.twitter.com/6ePvngKvMA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2022
पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें
मैं अपना और अपनी सरकार का बहुत बड़ा सौभाग्य मानता हूं कि गुरुओं के इतने अहम प्रकाश पर्व हमारी ही सरकार के दौरान आए।
जो मार्गदर्शन देश को सदियों पहले गुरुवाणी से मिला था, वो आज हमारे लिए परंपरा भी है, आस्था भी है, और विकसित भारत का विज़न भी है।
प्रकाश पर्व का जो बोध, महत्व सिख परंपरा में रहा, आज देश उसी तन्मयता से कर्तव्य और सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहा है... गुरु नानक देव जी ने हमें जीवन जीने का मार्ग दिखाया था।
उन्होंने कहा था नाम जपो, कीरत करो, वंड छको। इस एक वाक्य में आध्यात्मिक चिंतन भी है भौतिक समृद्धि का सूत्र भी है और सामाजिक समरसता की प्रेरणा भी है।
विभाजन में हमारे पंजाब के लोगों ने, देश के लोगों ने जो बलिदान दिया, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरुआत भी की है। हमारा प्रयास रहा है कि सिख विरासत को सशक्त करते रहें।
आपको बता दें कि 8 नवंबर को पहले सिख गुरु नानक देव की 553वीं जयंती मनाई जाएगी। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। गुरु पर्व पर सभी गुरुद्वारों में भजन- कीर्तन होता है और प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। कुछ समय पहले अफगानिस्तान में किस तरह हालात बिगड़े थे। वहां हिंदू-सिख परिवारों को वपास लाने के लिए अभियान चलाया था। गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को सुरक्षित लेकर आए। 26 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 'वीर बाल दिवस' मनाने की शुरुआत हुई है।
इस एक वाक्य में आध्यात्मिक चिंतन भी है भौतिक समृद्धि का सूत्र भी है और सामाजिक समरसता की प्रेरणा भी हैप्रकाश पर्व का जो बोध, महत्व सिख परंपरा में रहा, आज देश उसी तन्मयता से कर्तव्य और सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहा है... गुरु नानक देव जी ने हमें जीवन जीने का मार्ग दिखाया था। उन्होंने कहा था नाम जपो, कीरत करो, वंड छको: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी3 साल पहले गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व उत्सव देश और विदेश में मनाया था। इन विशेष अवसरों पर देश को अपने गुरूओं का आशीर्वाद और प्रेरणा मिली है वह नए भारत के निर्माण की उर्जा बढ़ा रही है।
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