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हमास-इजरायल युद्ध के बीच प्रधानमंत्री मोदी और इजरायली PM बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बातचीत

jantaserishta.com
10 Oct 2023 9:27 AM GMT
हमास-इजरायल युद्ध के बीच प्रधानमंत्री मोदी और इजरायली PM बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बातचीत
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नई दिल्ली: इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी जंग के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आज यानी मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है.

पीएम मोदी ने एक्स करते हुए लिखा है, इजरायल की वर्तमान स्थिति से अपडेट कराने के लिए मैं इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को धन्यवाद देता हूं. भारत के लोग इस मुश्किल घड़ी में इजरायल के साथ मजबूती से खड़े हैं. भारत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा करता है.
शनिवार को आतंकी संगठन हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल के साथ एकजुटता व्यक्त की थी. पीएम मोदी ने इसे 'आतंकवादी हमला' बताकर इसकी कड़ी निंदा की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. इस कठिन घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.'
भारत में इजरायली राजदूत नाओर गिलोन ने इससे पहले कहा था कि उनके देश को भारत से मजबूत समर्थन की जरूरत होगी. उन्होंने कहा था कि भारत एक प्रभावशाली देश है और वो आतंकवादी की चुनौती को समझता है और इस संकट को भी भली-भांति जानता है. इस समय यह बेहद जरूरी है कि हमें वो सब करने की क्षमता दी जाए जिससे हमास अपना अत्याचार जारी नहीं रख पाए.'
उन्होंने कहा था, 'हमें भारत से भारी समर्थन मिला है. हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया के सभी देश सैकड़ों इजरायली नागरिकों, महिलाओं, पुरुषों, बुजुर्गों और बच्चों की अकारण हत्या और अपहरण की निंदा करेंगे. यह अस्वीकार्य है.'
इजरायल-फिलिस्तीन जंग की जड़ में है ये विवाद
सात अक्टूबर की रात जब दुनिया सो रही थी, ठीक उसी वक्त हमास ने इजरायल के अनगिनत ठिकानों पर अचानक रॉकेट से हमला कर दिया. खबरों के मुताबिक हमास ने इस हमले में पांच हजार से लेकर सात हजार तक रॉकेट दागे. इस हमले में नौ सौ से ज्यादा इजरायली मारे गए. इसके जवाब में पलटकर इजरायल ने भी हमला किया. जिसमें तीन सौ से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो गई. आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों 35 एकड़ जमीन के एक टुकड़े के लिए बरसों से इजरायल और फिलिस्तीन लड़ते आ रहे हैं.
35 एकड़ जमीन के लिए जंग
ये पूरी दुनिया कुल 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन पर बसी है. जिस पर दुनिया भर के लगभग 8 अरब इंसान बसते हैं. इस 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन में से सिर्फ 35 एकड़ जमीन का एक ऐसा टुकड़ा है, जिसके लिए बरसों से जंग लड़ी जा रही है. जिस जंग में हजारों जानें जा चुकी हैं. लेकिन आज भी दुनिया की कुल 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन में से इस 35 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया. हमास का हमला और उसके जवाब में इजरायल की जोरदार बमबारी. जी हां, आप माने या ना मानें लेकिन सिर्फ 35 एकड़ जमीन के एक टुकड़े की वजह से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बरसों से ये जंग जारी है.
संयुक्त राष्ट्र के अधीन है पूरी जगह
इस जंग को समझने के लिए पहले 35 एकड़ इस जमीन की पूरी सच्चाई को समझना जरूरी है. येरुशलम में 35 एकड़ जमीन के टुकड़े पर एक ऐसी जगह है, जिसका ताल्लुक तीन-तीन धर्मों से है. इस जगह को यहूदी हर-हवाइयत या फिर टेंपल माउंट कहते हैं. जबकि मुस्लिम इसे हरम-अल-शरीफ बुलाते हैं. कभी इस जगह पर फिलिस्तीन का कब्जा हुआ करता था. बाद में इजरायल ने इसे अपने कब्जे में लिया. लेकिन इसके बावजूद आज की सच्चाई ये है कि 35 एकड़ जमीन पर बसे टेंपल माउंट या हरम अल शरीफ ना तो इजरायल के कब्जे में है और ना ही फिलिस्तीन के. बल्कि ये पूरी जगह संयुक्त राष्ट्र के अधीन है.
761 सालों तक था मुस्लिम पक्ष का कब्जा
35 एकड़ जमीन का ये वो टुकड़ा है, जिस पर सैकड़ों साल पहले ईसाइयों का कब्जा हुआ करता था. लेकिन 1187 में यहां मुसलमानों का कब्जा हुआ और तब से लेकर 1948 तक मुसलमानों का ही कब्जा था. लेकिन फिर 1948 में इजरायल का जन्म हुआ और उसके बाद से ही जमीन के इस टुकड़े को लेकर जब-तब झगड़ा शुरू हो गया. आईए जान लेते हैं कि आखिर 35 एकड़ जमीन के इस टुकड़े पर ऐसा क्या है, जिसके लिए सदियों से यहूदी, ईसाई और मुस्लिम लड़ते रहे हैं.
मुस्लिमों का दावा
मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक मक्का और मदीना के बाद हरम-अल-शरीफ उनके लिए तीसरी सबसे पाक जगह है. मुस्लिम धर्म ग्रंथ कुरान के मुताबिक आखिरी पैगंबर मोहम्मद मक्का से उड़ते हुए घोड़े पर सवार होकर हरम अल शरीफ पहुंचे थे. और यहीं से वो जन्नत गए. इसी मान्यता के मुताबिक तब येरुशलम में मौजूद उसी हरम अल शरीफ पर एक मजसिद बनी थी. जिसका नाम अल अक्सा मस्जिद है. मान्यता है कि ये मस्जिद ठीक उसी जगह पर बनी है, जहां येरुशलम पहुंचने के बाद पैगंबर मोहम्मद ने अपने पांव रखे थे. अल अक्सा मस्जिद के करीब ही एक सुनहरे गुंबद वाली इमारत है. इसे डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है. मुस्लिम मान्यता के मुताबिक ये वही जगह है, जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे. जाहिर है इसी वजह से अल अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ द रॉक मुसलमानों के लिए बेहद पवित्र जगह है. इसीलिए वो इस जगह पर अपना दावा ठोंकते हैं.
यहूदियों का दावा
यहूदियों की मान्यता है येरुशलम में 35 एकड़ की उसी जमीन पर उनका टेंपल माउंट है. यानी वो जगह जहां उनके ईश्वर ने मिट्टी रखी थी. जिससे आदम का जन्म हुआ था. यहूदियों की मान्यता है कि ये वही जगह है, जहां अब्राहम से खुदा ने कुर्बानी मांगी थी. अब्राहम के दो बेटे थे. एक इस्माइल और दूसरा इसहाक. अब्राहम ने खुदा की राय में इसहाक को कुर्बान करने का फैसला किया. लेकिन यहूदी मान्यताओं के मुताबिक तभी फरिश्ते ने इसहाक की जगह एक भेड़ को रख दिया था. जिस जगह पर ये घटना हुई, उसका नाम टेंपल माउंट है. यहूदियों के धार्मिक ग्रंथ हिबू बाइबल में इसका जिक्र है. बाद में इसहाक को एक बेटा हुआ. जिसका नाम जैकब था. जैकब का एक और नाम था इसरायल. इसहाक के बेटे इसरायल के बाद में 12 बेटे हुए. उनके नाम थे टुवेल्व ट्राइब्स ऑफ इजरायल. यहूदियों की मान्यता के मुताबिक, इन्हीं कबीलों की पीढ़ियों ने आगे चल कर यहूदी देश बनाया. शुरुआत में उसका नाम लैंड ऑफ इजरायल रखा. 1948 में इजरायल की दावेदारी का आधार यही लैंड ऑफ इजरायल बना.
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