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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रोजगार मेले को संबोधित किया

jantaserishta.com
13 April 2023 9:41 AM GMT
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रोजगार मेले को संबोधित किया
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फाइल फोटो

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय रोजगार मेले को संबोधित किया। उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों में नवनियुक्त कर्मियों को लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र वितरित किए। देश भर से चुने गए नवनियुक्त कर्मियों को भारत सरकार के तहत ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर, वरिष्ठ वाणिज्यिक लिपिक सह टिकट लिपिक, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, स्टेनोग्राफर, कनिष्ठ लेखापाल, डाक सहायक, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर, टैक्स सहायक, सीनियर ड्राफ्ट्समैन, जेई / सुपरवाइजर, सहायक प्रोफेसर, शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष, नर्स, परिवीक्षा अधिकारी, पीए, एमटीएस और अन्य जैसे पदों पर कार्य करने के लिए शामिल किया जाएगा। नवनियुक्त कर्मियों को ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ के माध्यम से स्वयं को प्रशिक्षित करने का अवसर भी मिलेगा, जो विभिन्न सरकारी विभागों में सभी नवनियुक्त कर्मियों के लिए एक ऑनलाइन उन्मुखीकरण पाठ्यक्रम है। प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान 45 स्थानों को मेले से जोड़ा गया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बैसाखी के शुभ अवसर पर देश को बधाई दी। उन्होंने नियुक्ति पत्र मिलने पर अभ्यर्थियों व उनके परिजनों को शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार, एक विकसित भारत के संकल्प की प्राप्ति के लिए युवाओं की प्रतिभा और ऊर्जा को सही अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एनडीए शासित राज्यों में, गुजरात से लेकर असम और उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक, सरकारी भर्ती की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है। उन्होंने कहा कि कल ही मध्य प्रदेश में 22,000 से अधिक शिक्षकों को भर्ती पत्र सौंपे गए हैं। "यह रोज़गार मेला देश के युवाओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।"
यह देखते हुए कि भारत, विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, प्रधानमंत्री ने कहा कि मंदी और महामारी की वैश्विक चुनौतियों के बीच दुनिया भारत को एक उज्ज्वल स्थान के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा, "आज का नया भारत उन नीतियों और रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रहा है, जिन्होंने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।" उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारत ने एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है, जो पहले के समय के प्रतिक्रिया आधारित दृष्टिकोण के विपरीत है। “इसका परिणाम यह हुआ है कि 21वीं सदी का यह तीसरा दशक रोज़गार और स्व-रोज़गार के उन अवसरों का गवाह बन रहा है, जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। युवाओं को काम करने के ऐसे क्षेत्र मिल रहे हैं, जो दस साल पहले अस्तित्व में ही नहीं थे।“ स्टार्टअप्स और भारतीय युवाओं के उत्साह का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने एक रिपोर्ट का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि स्टार्टअप्स ने रोजगार के 40 लाख से अधिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अवसर सृजित किए हैं। उन्होंने रोजगार के नए अवसरों के रूप में ड्रोन और खेल क्षेत्र का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत अभियान की सोच और दृष्टिकोण स्वदेशी अपनाने और स्थानीय उत्पाद पर जोर (‘वोकल फॉर लोकल’) देने से भी आगे की बात है। आत्मनिर्भर भारत अभियान गांवों से शहरों तक रोजगार के करोड़ों अवसर पैदा करने का अभियान है। उन्होंने स्वदेशी रूप से निर्मित आधुनिक उपग्रहों और अर्ध-उच्च-गति की ट्रेनों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में भारत में 30000 से अधिक एलएचबी कोच का निर्माण किया गया है। इन कोचों के लिए प्रौद्योगिकी और कच्चे माल की जरूरत ने भारत में रोजगार के हजारों अवसर सृजित किए हैं।
भारत के खिलौना उद्योग का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के बच्चे दशकों से केवल आयातित खिलौनों के साथ खेलते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खिलौने न तो अच्छी गुणवत्ता के थे और न ही उन्हें भारतीय बच्चों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने आयातित खिलौनों की गुणवत्ता के मानदंड तय किए और स्वदेशी खिलौना उद्योग को भी बढ़ावा देना शुरू किया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इसके परिणामस्वरूप, भारत में खिलौना उद्योग का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है और इसने रोजगार के अवसरों को पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दशकों से प्रचलित इस पुरानी मानसिकता का खंडन करते हुए कि भारत में रक्षा उपकरण केवल आयात ही किए जा सकते हैं, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने स्वदेशी निर्माताओं पर भरोसा करके इस दृष्टिकोण को बदल दिया है। इसके परिणामस्वरूप सशस्त्र बलों ने 300 से अधिक ऐसे उपकरणों और हथियारों की एक सूची बनाई है जिनका निर्माण केवल भारत में ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 15,000 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उपकरणों का निर्यात दुनिया भर में किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोबाइल फोन के निर्माण के क्षेत्र में हुई प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर और उसके लिए प्रोत्साहन देकर भारत ने काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत की है क्योंकि भारत अब स्थानीय मांग को पूरा करने के साथ-साथ मोबाइल हैंडसेट का निर्यात भी कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने रोजगार सृजन के मामले में बुनियादी ढांचे में निवेश की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय पर जोर दिए जाने के कारण सड़क, रेलवे, बंदरगाह और भवन जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र की रोजगार क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान पूंजीगत व्यय में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2014 से पहले और बाद के घटनाक्रमों का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारतीय रेलवे का उल्लेख किया और यह बताया कि 2014 से पहले के सात दशकों के दौरान जहां केवल 20,000 किलोमीटर रेल लाइनों का ही विद्युतीकरण हुआ था, वहीं पिछले 9 सालों के दौरान 40,000 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि मेट्रो रेल लाइन बिछाने का काम 2014 से पहले 600 मीटर प्रति माह था जो आज बढ़कर 6 किलोमीटर प्रति माह हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि 2014 से पहले गैस नेटवर्क देश के 70 से कम जिलों तक ही सीमित था, लेकिन आज यह नेटवर्क 630 जिलों तक पहुंच गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की लंबाई के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद इसमें 4 लाख किलोमीटर से 7 लाख किलोमीटर की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा, “जब गांवों तक सड़कें पहुंचती हैं, तो इससे पूरे इकोसिस्टम में तेजी से रोजगार का सृजन होता है।”
विमानन क्षेत्र के बारे में बोलते हुए, श्री मोदी ने बताया कि 2014 में हवाई अड्डों की संख्या सिर्फ 74 थी जो आज बढ़कर 148 हो गई है। उन्होंने हवाई अड्डे के संचालन में निहित रोजगार सृजन की क्षमता की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने एयर इंडिया द्वारा विमानों के लिए रिकॉर्ड ऑर्डर दिए जाने और कुछ अन्य कंपनियों की इसी तरह की योजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पोर्ट सेक्टर में भी इसी तरह की प्रगति देखी जा रही है क्योंकि कार्गो हैंडलिंग की क्षमता पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है और इसमें लगने वाला समय आधा हो गया है। इस प्रकार के विकास से बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हो रहे हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले जहां देश में 400 से कम मेडिकल कॉलेज थे, वहीं आज 660 मेडिकल कॉलेज हैं। इसी तरह, 2014 में स्नातक स्तर की मेडिकल सीटों की संख्या 50 हजार थी जो आज बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई हैं और आज स्नातक होने वाले डॉक्टरों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में एफपीओ और एसएचजी को लाखों करोड़ रुपये की सहायता मिल रही है, भंडारण क्षमता बढ़ाई जा रही है, 3 लाख से अधिक साझा सेवा केंद्र बनाए गए हैं, 6 लाख किलोमीटर से अधिक लंबाई में ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। गांवों में पीएमएवाई के तहत 3 करोड़ घरों में से 2.5 करोड़ से अधिक घरों का निर्माण किया गया है, 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं, 1.5 लाख से अधिक वेलनेस सेंटर स्थापित किए गए हैं और कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “इन सभी कदमों ने बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किए हैं।”
पीएम मोदी ने बढ़ती उद्यमशीलता और छोटे उद्योगों की मदद के बारे में भी बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का भी उल्लेख किया। इस योजना ने हाल ही में अपने 8 वर्ष पूरे किए हैं। इस योजना के तहत 23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बैंक गारंटी मुक्त ऋण वितरित किए गए हैं और इसकी 70 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं। उन्होंने कहा, “इस योजना ने 8 करोड़ नए उद्यमी तैयार किए हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने पहली बार मुद्रा योजना की मदद से अपना कारोबार शुरू किया है।” उन्होंने जमीनी स्तर पर अर्थव्यवस्था को गति देने में माइक्रो-फाइनेंस की शक्ति पर भी प्रकाश डाला।
आज नियुक्ति पत्र पाने वाले लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जबकि देश 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, यह देश के विकास में योगदान देने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज आप एक सरकारी कर्मचारी के रूप में अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान, आपको उन बातों को हमेशा याद रखना चाहिए जिन्हें आप एक आम नागरिक के रूप में महसूस किया करते थे।” नवनियुक्त अभ्यर्थियों की सरकार से होने वाली अपेक्षाओं को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अब यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करें। उन्होंने कहा, “आप में से प्रत्येक व्यक्ति अपने काम के माध्यम से आदमी के जीवन को किसी न किसी तरीके से प्रभावित करेगा।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि काम पर सकारात्मक प्रभाव पैदा करने और आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने नवनियुक्त अभ्यर्थियों से अपनी सीखने की प्रक्रिया को नहीं रोकने का आग्रह किया और कहा कि कुछ नया जानने या सीखने की प्रकृति कार्य और व्यक्तित्व दोनों में परिलक्षित होती है। उन्होंने उन्हें ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म आईजीओटी कर्मयोगी से जुड़कर अपने कौशल को उन्नत करने की भी सलाह दी।
रोजगार मेला, रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। यह उम्मीद की जाती है कि रोजगार मेला आगे और रोजगार सृजित करने की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा और युवाओं को उनके सशक्तिकरण और राष्ट्रीय विकास में भागीदारी के लिए सार्थक अवसर प्रदान करेगा।
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