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राष्ट्रपति चुनाव: 96 लोगों का नामांकन रद्द, सामने आई ये वजह
jantaserishta.com
1 July 2022 11:05 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में अब सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ही रह गए हैं. चुनाव के लिए कुल 96 लोगों का नॉमिनेशन अलग-अलग कारणों से रद्द कर दिया गया है. द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के नॉमिनेशन को ही वैध माना गया है. बता दें कि राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को राष्ट्रपति चुनाव का पीठासीन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) बनाया गया है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 98 प्रत्याशियों ने नॉमिनेशन किया था. इनमें से 96 लोगों के नॉमिनेशन को विभिन्न कारणों से रद्द कर दिया गया है. 29 जून को नामांकन की आखिरी तारीख थी, जबकि पर्चा वापस लेने की अंतिम तारीख दो जुलाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 प्रत्याशियों का नामांकन तकनीकी कारणों से तत्काल जबकि अन्य का नामांकन गुरुवार को स्क्रूटनी के बाद रद्द किया गया है.
जानकारी के मुताबिक, जिन आवेदकों के नॉमिनेशन खारिज हुए हैं, उन प्रत्याशियों के पास प्रस्तावक और अनुमोदकों की संख्या पर्याप्त नहीं थी. इसके अलावा निर्धारित जमा राशि 15 हजार रुपए भी नहीं जमा कराई गई थी. राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई को होगा जबकि 21 जुलाई को नतीजे आएंगे. 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे.
झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज में अपनी शिक्षा पूरी की. उनकी एक बेटी है जिनका नाम इतिश्री मुर्मू है. द्रौपदी मुर्मू श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में और फिर ओडिशा के सिंचाई विभाग में काम कर चुकी हैं. द्रौपदी मुर्मू 1997 में भाजपा में शामिल हो गईं थीं. मुर्मू को 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए सम्मानित भी किया गया था. 2013 में उन्हें मयूरभंज जिले का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद मई 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था.
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना, बिहार में हुआ था. सिन्हा के पास राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री है. सिन्हा ने 24 से अधिक वर्षों तक IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी के रूप में काम किया. भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद यशवंत सिन्हा का राजनीतिक जीवन 1984 में शुरू हुआ था. 1986 में वे भाजपा के अखिल भारतीय महासचिव बने थे. 1988 में वे राज्यसभा के सदस्य बने. जनता दल के गठन के बाद वे पार्टी के महासचिव बने. नवंबर 1990 और जून 1991 के बीच चंद्रशेखर के अल्पकालिक मंत्रिमंडल में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था. मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में भी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था.
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