रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसम्बर को एक बेहद छोटे मगर अहम दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं. महज़ कुछ घंटों की इस यात्रा के दौरान जहां भारत और रूस के रिश्तों को आगे बढ़ाने की कोशिश होगी. वहीं ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और हथियार उत्पादन क्षेत्र में करीब एक दर्जन करारनामे भी होंगे. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति पुतिन दोपहर बाद दिल्ली पहुंचेंगे और महज़ 6-7 घंटे के लिए भारत में होंगे. हालांकि इस दौरान दोनों मुल्कों के बीच विभिन्न स्तर पर सघन वार्ताओं का दौर होगा. इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन 21वें दौर की भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए मिलेंगे. दोनों नेताओं के बीच मुलाकात शाम 5:30 बजे पर दिल्ली के हैदराबाद हाउस में होगी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच सीधी और अनौपचारिक बातचीत का भी सत्र होगा. कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट से बढ़ी चिंताओं और कोविड प्रोटोकॉल का मद्देनजर दोनों देशों की इस बातचीत में अधिकारियों की संख्या को भी बहुत सीमित रखा गया है. पुतिन सोमवार रात करीब 9:30 बजे वापस रवाना भी ही जाएंगे.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों नेता शिखर वार्ता के दौरान भारत और रूस के बीच विशेष वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने और आपसी सहयोग के नए पैमाने तय करेंगे. इस कड़ी में ही दोनों देशों के बीच पहली 2+2 वार्ता होगी. विदेश और रक्षा मंत्रियों की इस संयुक्त बैठक का फैसला पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अप्रैल 2021 में हुई फोन वार्ता के दौरान किया गया था. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू पुतिन से एक दिन पहले ही भारत में होंगे. दिसम्बर 6 को एक ओर भारत और रूस के रक्षा मंत्री सैन्य व तकनीकी सहयोग पर अंतरसरकारी समूह की बैठक में शरीक होंगे. वहीं दोनों मुल्कों के विदेश मंत्रियों की भी उसी वक्त समानांतर मुलाकात होगी. इसके बाद दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री 2+2 वार्ता की मेज़ पर साझेदारी की योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे.
भारत-रूस शिखर वार्ता की तैयारियों से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते होंगे. इसमें अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण व्यापार गलियारे जैसी व्यापक परियोजना आगे बढाने पर बात होगी जो भारत को मध्य एशिया और रूस से जोड़ने का रास्ता देती है. ईरान में बनाए गए चाबहार बंदरगाह को आईएनएसडीसी से जोड़ने का प्रस्ताव भारत पहले ही दे चुका है. ष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी के बीच होने वाले वार्ता में AK-203 असॉल्ट राइफल के संयुक्त उत्पादन समझौते पर भी मोहर लगेगी. इसके तहत भारत के अमेठी में 5 लाख से अधिक AK-203 उन्नत रायफलों का उत्पादन किया जाना है. राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा से पहले भारत में सुरक्षा संबंधी मामलों पर सरकार की सबसे ताकतवर संस्था सीसीएस ने समझौते के मसौदे को मंजूरी दे दी. इस राइफल उत्पादन परियोजना के लिए एक संयुक्त उपक्रम इंडो-रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड को बनाया गया है. इसमें भारतीय कम्पनी एडवांस्ड वेपन एंड इक्युपमेंट इंडिया लिमिटेड और रूस की रोसबोरोन एक्सपोर्ट व कलाश्निकोव जैसी कम्पनियां शामिल हैं.
हथियार सौदों की कड़ी में S400 मिसाइल सिस्टम को लेकर भी बात होगी. सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच 2018 में हुए इस सौदे में डिलीवरी शेड्यूल समेत कुछ अन्य मुद्दों पर स्पष्टता की दरकार है. लिहाज़ा 2+2 बातचीत से लेकर शिखर वार्ता में इस पर चर्चा सम्भव है. ध्यान रहे कि 5 अरब डॉलर से अधिक के इस मिसाइल सौदे को लेकर अमेरिका प्रतिबंध तक की चेतावनी दे चुका है. हालांकि भारत भी यह साफ कर चुका है कि वो इस मामले में अमेरिकी दबाव में आने वाला नहीं है. इस बारे में उठे सवालों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि भारत अपने हथियार सौदों को क्षेत्रीय ज़रूरतों और संप्रभु अधिकारों के आधार पर अंजाम देता है. यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर चलने और रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के आचरण का हिस्सा है.