रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सराहना की है. पुतिन ने कहा कि ये दोनों नेता आपसी मसलों को सुलझाने में सक्षम हैं और इनके बीच किसी तीसरे को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को "जिम्मेदार" नेता बताते हुए पुतिन ने शनिवार को कहा कि वे दोनों अपने मुद्दों को सुलझाने में सक्षम हैं. इसमें "अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्ति" को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. माना जा रहा है कि पुतिन ने इस बयान के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की है कि भारत-चीन के मसले में अमेरिका जैसे किसी देश को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड गुट को लेकर रूस खुलेआम आलोचना करता रहा है. लेकिन पुतिन ने कहा कि रूस का यह काम नहीं है कि कौन सा देश किसी पहल में हिस्सा ले रहा है अथवा कौन सा देश किसके साथ साझेदारी कर रहा है. लेकिन किसी भी साझेदारी का उद्देश्य किसी के खिलाफ दोस्ती का नहीं होना चाहिए. एक समाचार एजेंसी के साथ इंटरव्यू में पुतिन ने क्वाड पर किए गए एक सवाल के जबाव में यह बात कही. रूस क्वाड को लेकर सवाल उठाता रहा है जबकि चीन भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इस गुट को लेकर नाराजगी जता चुका है
पुतिन ने यह भी कहा कि भारत के साथ रूस की साझेदारी और मास्को और बीजिंग के बीच संबंधों में कोई "विरोधाभास" नहीं है. रूस के राष्ट्रपति ने कहा, "हां, मुझे पता है कि भारत-चीन संबंधों से जुड़े कुछ मुद्दे हैं. लेकिन पड़ोसी देशों के बीच हमेशा बहुत सारे मुद्दे होते हैं. मैं भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति दोनों के रवैये को जानता हूं. वे बहुत जिम्मेदार लोग हैं और वे ईमानदारी से एक दूसरे के साथ अत्यंत सम्मान के साथ पेश आते हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि अगर उन्हें कोई मसला सुलझाना हुआ तो वे आसानी से सुलझा लेंगे.' पुतिन ने कहा, "लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि कोई अन्य अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्ति इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रही हो." असल में, पिछले साल 5 मई को पूर्वी लद्दाख में एक्चुअल कंट्रोल ऑफ लाइन (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हो गई थी. इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए जबकि चीन का कहना था कि उसके चार सैनिक मारे गए थे. एलएसी पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच कई राउंड की वार्ता हुई. रूस ने फिलहाल भारत-चीन के बीच मसले को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप न करने की बात कही है.
इंटरव्यू के दौरान पुतिन से रूस-चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों और इससे भारत-रूस सुरक्षा और रक्षा सहयोग को लेकर रिश्तों पर पड़ने वाले असर को लेकर भी सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध काफी तेजी से मजबूत हो रहे हैं. दोनों देशों का रिश्ता एक-दूसरे के 'भरोसे' पर टिका हुआ है.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा, "हम अपने भारतीय दोस्तों के सहयोग की बहुत सराहना करते हैं. ये संबंध रणनीतिक हैं. वे अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और उच्च तकनीक में हमारे साझेदार हैं....और सिर्फ रूसी हथियारों की खरीद के मामले में ही नहीं बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी हमारे रिश्ते बहुत गहरे हैं. विश्वास पर आधारित भारत के साथ हमारे बहुत गहरे संबंध हैं."
पुतिन ने यह भी कहा, 'भारत रूस का एकमात्र भागीदार है जो उन्नत हथियार प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों पर साथ काम कर रहा है. लेकिन यह केवल एक क्षेत्र नहीं है जहां हमारे सहयोग की सीमा समाप्त होती है क्योंकि हमारा सहयोग बहुआयामी है.'
अमेरिका, भारत, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के चुनिंदा शीर्ष संपादकों के साथ बातचीत के दौरान, पुतिन ने रूस-अमेरिका संबंधों, महामारी की स्थिति, रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों, गाजा सहित तमाम मुद्दों पर बेबाक जवाब दिया.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की क्वाड की 'एशियाई नाटो' के रूप में आलोचना और समूह में भारत की भागीदारी के सवाल पर पुतिन ने कहा, "हम क्वाड में भाग नहीं ले रहे हैं. दो देशों के बीच रिश्तों का मूल्यांकन करना मेरा काम नहीं है. किसी भी पहल में भाग लेने का प्रत्येक संप्रभु राष्ट्र हक है. हर देश को यह तय करने का अधिकार है कि वे किसके साथ और किस हद तक अपने संबंध बना रहे हैं. मेरा केवल यह मानना है कि देशों के बीच किसी भी साझेदारी का उद्देश्य किसी के खिलाफ दोस्त बनाना नहीं होना चाहिए."