
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और पिछले कुछ वर्षों में रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि हुई है। सोलिह के साथ बैठक के बाद सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और मालदीव की 'भारत पहले' नीति 'पूरक' हैं और वे विशेष साझेदारी को आगे बढ़ाते हैं। नयी दिल्ली में आधिकारिक कार्यक्रमों के अलावा, राष्ट्रपति सोलिह मुंबई भी जाएंगे और व्यावसायिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
सोलिह के नवंबर, 2018 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति सोलिह के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। सोलिह ने दिसंबर 2018 में भारत की यात्रा की थी जो राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा थी। मोदी ने जून, 2019 में मालदीव का दौरा किया था जो प्रधानमंत्री के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल की उनकी पहली विदेश यात्रा थी।
पिछले हफ्ते मालदीव के रक्षा बलों के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल ने भारत की यात्रा की थी। मार्च में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने माले की यात्रा के दौरान देश को एक तटीय रडार प्रणाली सौंपी थी। भारत और मालदीव हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा करते हैं और रक्षा सहयोग का विस्तार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। विकास सहयोग भारत-मालदीव संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ रहा है तथा नयी दिल्ली ने द्वीपीय देश को बुनियादी ढांचे और सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए अनुदान के तौर पर 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की ऋण सुविधा प्रदान की है।
सोलिह की 1 से 4 अगस्त तक भारत यात्रा द्वीपीय देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं वर्तमान में संसद अध्यक्ष मोहम्मद नशीद के साथ उनके व्यापक राजनीतिक मतभेद के बीच हो रही है। सोलिह और नशीद दोनों मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
