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राष्ट्रपति कोविंद : भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करें

Rani Sahu
24 July 2022 3:36 PM GMT
राष्ट्रपति कोविंद : भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करें
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भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करें

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने देशवासियों से भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है और जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है. राष्ट्र के नाम अपने विदाई संबोधन में उन्होंने कहा कि देश 21वीं सदी को 'भारत की सदी' बनाने के लिए तैयार हो रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये आर्थिक सुधारों के साथ, नागरिकों को उनकी क्षमता का एहसास कराकर उन्हें समृद्ध बनाएंगे.

निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी. राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति के रूप में अपने अंतिम टेलीविजन संबोधन में, कोविंद ने कहा, 'महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है. मुझे खुशी है कि सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.' उन्होंने कहा, 'एक बार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा शुरू हो जाने के बाद, आर्थिक सुधार नागरिकों को उनके जीवन के लिए सबसे अच्छा रास्ता खोजने में मदद करेंगे.' उन्होंने कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारा देश 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए तैयार हो रहा है.'

उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है. उन्होंने कहा कि मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं. कोविंद ने कहा कि 5 साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति चुना गया था. राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है. मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं.
कोविंद ने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था. हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है.


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