भारत
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति देश के सभी राज्यपाल और उपराज्यपाल को फेयरवेल देंगे, जानें पूरी डिटेल्स
jantaserishta.com
14 July 2022 9:12 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू देश के सभी राज्यपाल और उपराज्यपाल को फेयरवेल देंगे. जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में 16 जुलाई की शाम 7 बजे रात्रिभोज के लिए आमंत्रित करेंगे. वहीं एक दिन बाद यानी कि 17 जुलाई को उपराष्ट्रपति वेंकैया नाडयू सभी राज्यपाल और उपराज्यपाल को लंच के लिए बुलाएंगे.
उधर, आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को विशेष निर्देश दिया है. इसके तहत सांसदों को दिल्ली में संसद भवन में ही वोट डालने के लिए कहा गया है. साथ ही सभी को 16 जुलाई शाम पांच बजे तक दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है. उसी दिन सभी बीजेपी और सहयोगी दलों के सांसदों की डिनर पार्टी भी होगी. बताया जा रहा है कि इसके पीछे यह रणनीति है कि एनडीए के सभी सांसदों का सौ प्रतिशत मतदान हो.
मतदान से पहले सभी सांसदों को दी वोट डालने की ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्होंने बताया जाएगा कि वोट कैसे डालना है, बैलेट पेपर पर किस तरह द्रौपदी मुर्मू के नाम के आगे पहली प्राथमिकता देनी है. बता दें कि एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू जबकि यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है.
देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होना है और उसी दिन से संसद का मॉनसून सत्र भी शुरू हो रहा है. ऐसे में चुनाव के बाद 21 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा. चुनाव में वोटिंग के लिए ख़ास इंक वाला पेन इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं अपना वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद बतानी होगी. लेकिन चुनाव में पहली पसंद नहीं बताने पर वोट रद्द हो जाएगा.
वहीं, 6 अगस्त को उप राष्ट्रपति के चुनाव होंगे. 10 अगस्त को वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भी 6 अगस्त को ही जारी कर दिए जाएंगे. अधिसूचना के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू होकर 19 जुलाई तक चलने वाली है.
एगी. उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव इलेक्शन अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति (proportional representation) से किया जाता है. इसमें वोटिंग खास तरीके से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. इसमें मतदाता को वोट तो एक ही देना होता है, मगर उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देता है. नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर किया जाना होता है.
साभार: आजतक
jantaserishta.com
Next Story