कर्नाटक। बेंगलुरु में गणेश चतुर्थी का जश्न मनाने के लिए तैयारियां चल रही हैं। एक दुकानदार ने बताया, "पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से व्यापार अच्छा नहीं हुआ लेकिन इस साल व्यापार थोड़ा अच्छा हो रहा है। विक्रेता भी मूर्ति खरीदने आ रहे हैं।"
इस साल 31 अगस्त 2022 को भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता, प्रथम पूज्य देव, सुख संपदा और समृद्धि प्रदान करने वाले देवता भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा घर-घर विराजते हैं। पंडालों में इनकी बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं सभी के आर्कषण का केंद्र बिन्दु होती हैं। गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक चलता है। 10 दिन भक्तों के साथ रहने के बाद बप्पा अपने धाम वापस लौट जाते हैं। इस साल 31 अगस्त को गणपति स्थापना के 10 दिन बाद यानी 09 सितंबर को विसर्जन होगा। विसर्जन के दौरान भक्त अगले साल बप्पा को शीघ्र आने की कामना करते हैं।
भगवान गणेश जी ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा में दूर्वा का प्रयोग किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, एक राक्षस था जिसका नाम अगलासुर था। वह ऋषि मुनियों को जीवित ही निगल जाता था। गणेश जी ने उस राक्षस का अंत करने के लिए उसे निगल लिया था। तब उनके पेट की जलन के शांत करने के लिए कश्यप ऋषि में दूर्वा दी थी, जिसके कारण गणेश जी को दूर्वा चढ़ाई जाती है।