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प्रशांत किशोर-KCR की मुलाकात से मचा हड़कंप, पढ़े इनसाइड स्टोरी

jantaserishta.com
25 April 2022 10:45 AM GMT
प्रशांत किशोर-KCR की मुलाकात से मचा हड़कंप, पढ़े इनसाइड स्टोरी
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नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की एक तरफ कांग्रेस में एंट्री की पटकथा लिखी जा रही है तो दूसरी तरफ वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ मुलाकात कर रहे है. तेलंगाना में टीआरएस के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम भी इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी IPAC को मिला है. इसी कंपनी के साथ पीके जुड़े रहे हैं, लेकिन पिछले साल उन्होंने खुद को कंपनी से अलग कर लिया था.

कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने दम पर बीजेपी को हराने की स्थिति में नहीं है. मज़बूत गठबंधन के सहारे ही वो बीजेपी को टक्कर दे सकती है. प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी का एक फॉर्मूला रखा है. पीके इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी एकता जरूरी है, लेकिन इस विपक्षी एकता के केंद्र में कांग्रेस रहे. ऐसे में केसीआर से मुलाकात के बाद सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं कि पीके मिशन-2024 में अभी से जुट गए है क्या?
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस का दावा तभी मजबूत होगा जब वो अपने दम पर 100 से ज्यादा सीटें जीत कर लाए. ऐसे में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने का सुझाव दिया है. पीके का प्लान है कि कांग्रेस को उन राज्यों में गठबंधन के साथ उतरना चाहिए, जहां पर क्षेत्रीय दल मजबूत हैं.
तेलंगाना में टीआरएस 2014 से सत्ता में है और काफी मजबूत स्थिति में दिख रही है. टीआरएस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने अभियान के लिए IPAC से अनुबंध किया है. यह अनुबंध तब हुआ है जब प्रशांत किशोर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ दो दिन से लगातार बैठकें कर रहे थे.
चुनावी रणनीतिकार शनिवार सुबह हैदराबाद पहुंचे थे और रात भर मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर ही रुके. IPAC के ऋषि सिंह टीआरएस के अभियान को संभालने के लिए हैदराबाद में हैं. टीआरएस और IPAC के बीच अनुबंध इसलिए काफ़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस तेलंगाना में एक प्रमुख विपक्ष दल बनी हुई है. पीके ने भले ही आधिकारिक तौर पर एक साल पहले IPAC के साथ अपने संबंधों को खत्म कर लिया था, लेकिन टीआरएस के साथ अनुबंध के दौरान पीके के वहां पर होने से सियासी चर्चाएं तेज हैं.
तेलंगाना में कांग्रेस और टीआरएस एक दूसरे के विरोधी हैं. कांग्रेस वहां की प्रमुख विपक्षी पार्टी है. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस और टीआरएस के बीच प्रशांत किशोर पुल का काम करेंगे. 2024 के चुनाव में वे कांग्रेस और टीआरएस के बीच गठबंधन की कवायद में तो नहीं जुटे.
टीआरएस ने 2014 के बाद से न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी गठबंधन के साथ हाथ मिलाया है. केसीआर भी बीजेपी को सियासी मात देने के लिए विपक्षी गठबंधन के लिए कवायद कर चुके हैं. इस कड़ी में ममता बनर्जी से लेकर नवीन पटनायक और सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक से मुलाकात वे कर चुके हैं, लेकिन विपक्षी एकता को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. केसीआर ने कांग्रेस से भी दूरी बना रखी है. ऐसे में पीके का केसीआर से मिलना और 2023 के चुनाव के लिए टीआरएस के IPAC के साथ हाथ मिलाने को पीके के मिशन-2024 से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
हालांकि, तेलंगाना में केसीआर और टीआरएस से कांग्रेस की दोस्ती आसान नहीं है. इसीलिए प्रशांत किशोर की केसीआर से मुलाकात करने पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. तेलंगाना के कांग्रेस प्रभारी मणिकम टैगोर ने ट्विटर पर एक तस्वीर-पोस्ट करते हुए लिखा है, 'किसी ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा न करें ,जो दुश्मन का दोस्त हो.
वहीं, दिल्ली में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने और न होने को लेकर सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर पी चिदंबरम की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी की बैठक हो रही है. इस बैठक में कमेटी प्रशांत किशोर के कांग्रेस की वापसी के लिए दिए फॉर्मूले पर अपनी रिपोर्ट देगी और उनके कांग्रेस में शामिल होने अथवा न होने पर अपनी सिफारिश देगी. पीके ने जो प्लान दिया है, वो कांग्रेस के लिए किस हद तक सही है. इसे लेकर मंथन किया जा रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी.
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