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बिजली मंत्रालय ने आईएसटीएस प्रक्रिया को तेज करने के लिए राष्ट्रीय पारेषण समिति (एनसीटी) की संदर्भ शर्तों में संशोधन किया

jantaserishta.com
30 Oct 2021 2:15 AM GMT
बिजली मंत्रालय ने आईएसटीएस प्रक्रिया को तेज करने के लिए राष्ट्रीय पारेषण समिति (एनसीटी) की संदर्भ शर्तों में संशोधन किया
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केंद्रीय बिजली मंत्री श्री आर के सिंह के निर्देशन में बिजली क्षेत्र में किए जा रहे प्रमुख सुधारों की श्रृंखला में एक और कदम के रूप में, बिजली मंत्रालय ने अंतर राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) योजना और अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय पारेषण समिति (एनसीटी) की संदर्भ शर्तों को संशोधित किया है। यह अक्षय ऊर्जा के विकास और बिजली व्यवस्था में एकीकरण को और सुगम बनाने में काफी मददगार होगा।

एनसीटी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मांग और उत्पादन में वृद्धि की प्रवृत्ति,बिजली हस्तांतरणमेंअंतर-राज्य, अंतर-क्षेत्रीय बाधाओं,यदि कोई हो, जो निकट अवधि/ मध्यम अवधि में उत्पन्न हो सकते हैं, का आकलन करने के बाद अनुमोदन के लिए बिजली मंत्रालय को आईएसटीएस के विस्तार का प्रस्ताव देना अनिवार्य है। एनसीटी की अगुवाई केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष करते हैं और इसमें नवीन एवंअक्षय ऊर्जा मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, नीति आयोग, केंद्रीय पारेषण उपयोगिता, विद्युत प्रणाली संचालन निगम और दो विशेषज्ञ शामिल हैं।
हमारे देश ने पेरिस में सीओपी-21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज- 21) में अपने कार्बन फुटप्रिंट को साल 2005 के स्तर से घटाकर 2030 तक इसमें 33-35% कमी करने और तब तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली की अपनी 40% जरूरतों को पूरा करने का संकल्प लिया है। ऊर्जा पारगमन लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में भारत ने 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पारंपरिक बिजली उत्पादन के विपरीत,जिसमें उत्पादन पूर्व तैयारी अवधि लंबी होती है, अक्षय ऊर्जा उत्पादन को चालू करने के लिए लगभग 18 महीने की आवश्यकता होती है, जबकि पारगमन प्रणाली को चालू होने के लिए 18-24 महीने की आवश्यकता होती है। तदनुसार, पारगमन योजना और अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता महसूस की गई ताकि आईएसटीएस और आरई की कमीशनिंग के बीच असंतुलन को कम किया जा सके।
अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता में वृद्धि के लिए, नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा चिन्हित जिन क्षेत्रों में उच्च सौर/ पवन ऊर्जा क्षमता है उन्हें आईएसटीएस से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि वहां आरई क्षमता में वृद्धि हो सके। यह हमारे ऊर्जा पारगमन लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में एक राष्ट्रीय मिशन है। एनसीटी की संदर्भ शर्तों में संशोधन से 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा रखने के लिए आवश्यक आईएसटीएस प्रणाली को समय पर विकसित करने में मदद मिलेगी।
अभी एनसीटी की सिफारिश के आधार पर सभी आईएसटीएस प्रणालियों को बिजली मंत्रालय की मंजूरी मिली हुई है। आईएसटीएस की मंजूरी में तेजी लाने के लिए 500 करोड़ रुपये तक की लागत वाली आईएसटीएस परियोजनाओं को मंजूरी देने की शक्ति एनसीटी को सौंपी गई है। अब आईएसटीएस के 100 करोड़ रुपये तक के विस्तार के प्रस्ताव को सीटीयू और 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये के बीच के प्रस्ताव को एनसीटी से मंजूरी मिलेगी। बिजली मंत्रालय 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले प्रस्ताव को मंजूरी देगा।
आईएसटीएस योजना और अनुमोदन प्रक्रिया में दो क्षेत्रीय समितियां अर्थात् क्षेत्रीय बिजली समिति (आरपीसी) और क्षेत्रीय बिजली समिति (पारेषण योजना) (आरपीसी-टीपी) थीं जिनसे अलग से परामर्श किया जाना था। इससे आईएसटीएस की योजना और अनुमोदन की प्रक्रिया में देरी होती थी। क्षेत्रीय परामर्श में दोहराव से बचने और नियोजन प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के लिए, आरपीसी-टीपी को भंग कर दिया गया है और आईएसटीएस योजना और अनुमोदन प्रक्रिया में क्षेत्रीय परामर्श की सुविधा के लिए आरपीसी की संदर्भ शर्तों को संशोधित किया जा रहा है। यह प्रावधान किया गया है कि आरपीसी से परामर्श करने के बाद सीटीयू अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली के विस्तार का प्रस्तावएनसीटी के सामने विचार के लिए प्रस्तुत करेगा। 500 करोड़ रुपये तक के प्रस्ताव के लिए आरपीसी के साथ पूर्व परामर्श की आवश्यकता नहीं होगी।
सीटीयू की सिफारिशों और आरपीसी के मतों पर विचार करने के बाद, एनसीटी आईएसटीएस के विस्तार का प्रस्ताव करेगा। एनसीटी प्रस्तावित आईएसटीएस योजना की लागत की जांच करेगा और उनके कार्यान्वयन के लिए प्रस्तावित पारेषण योजनाओं के लिए पैकेज तैयार करेगा। एनसीटी की बैठकें हर तिमाही होनी है और यदि आवश्यक हो तो यह बैठक हर महीने भी होगी।
केंद्रीय बिजली मंत्री श्री आर के सिंह के निर्देश पर पहले किए गए प्रमुख सुधारों की एक श्रृंखला में, बिजली मंत्रालय ने पारेषण के लिए बोलियों में पारदर्शिता और एक समान अवसर प्रदान करने के लिए सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी को पावरग्रिड से अलग कर दिया था। मंत्रालय ने निवेश आकर्षित करने और इसमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए पारेषण परियोजनाओं के लिए लॉक-इन अवधि को कम किया और सामान्य नेटवर्क एक्सेस के नियमों को लागू किया - जिसने आईएसटीएस नेटवर्क से कनेक्टिविटी प्राप्त करने की प्रक्रिया को मौलिक रूप से सरल बना दिया। इसके बाद मंत्रालय ने उपभोक्ता का अधिकार नियम जारी किया,जो उपभोक्ताओं को सशक्त बनाता है और देर से भुगतान के लिए अधिभार की उच्चतम सीमा निर्धारित करता है।
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