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राज्यों में 'हाय-तौबा': बढ़ती गर्मी के साथ गहराया बिजली संकट, कोयले की किल्लत, जानें राज्यों के नाम

jantaserishta.com
23 April 2022 2:50 AM GMT
राज्यों में हाय-तौबा: बढ़ती गर्मी के साथ गहराया बिजली संकट, कोयले की किल्लत, जानें राज्यों के नाम
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नई दिल्ली: बढ़ती गर्मी के साथ बिजली संकट गहराने लगा है। यूपी, झारखंड, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली कटौती से लोग बेहाल हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में। वहीं, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के आकंड़ो के मुताबिक, देश भर के 65 फीसदी बिजली संयंत्रों में महज सात दिन का कोयला बचा है। कोयले की कमी को देखते हुए यह संकट और गहरा सकता है।

यूपी में बिजली संयंत्रों पर असर
यूपी में कोयले की कमी का असर बिजली उत्पादन इकाइयों पर पड़ने लगा है। हरदुआगंज की 110 मेगावाट की इकाई नंबर-सात से उत्पादन बंद हो गया है। पारीछा, ओबरा, हरदुआगंज में कोयले का स्टाक क्रिटिकल स्थिति यानी 25 फीसदी से नीचे आ गया है। दूसरी तरफ मांग के अनुपात में बिजली उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रात के वक्त 4 से 6 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। नतीजतन, गांव वालों को रातें अंधेरे में ही गुजारनी पड़ रही हैं।
यूपी में बिजली की कुल मांग 20346 मेगावॉट है और आपूर्ति 18512 मेगावॉट हो रही है। कोयले की कमी के कारण हरदुआगंज में 3.060 मिलियन यूनिट, पारीछा में 6.225 मिलियन यूनिट तथा ओबरा में 3.760 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कम हुआ। यूपी के ग्रामीण जिलों में 18 घंटे, नगर पंचायत में 21: 30 घंटे और तहसील में 21:30 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। हालांकि जिला मुख्यालयों में 24 घंटे की आपूर्ति की जा रही है।
झारखंड में सात घंटे कटौती
झारखंड में बिजली संकट से लोग परेशान हैं। बिजली की मांग अभी 2500 से 2600 मेगावॉट है, लेकिन राज्य को बिजली आपूर्ति 2100 से 2300 मेगावॉट है। प्रतिदिन 200 से 400 मेगावॉट की कटौती हो रही है। शहरों में चार और ग्रामीण इलाकों में सात घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है। राज्य में सरकार की एक मात्र उत्पादन इकाई टीवीएनएल के पास महज एक हफ्ते का कोयला भंडार है।
उत्तराखंड में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर
उत्तराखंड में लोगों को सबसे बड़े बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। राज्य में बिजली की मांग 45.5 मिलियन यूनिट के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। जबकि, उपलब्धता सिर्फ 38.5 मिलियन यूनिट ही है। इस कारण उद्योगों में छह घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों में चार से पांच घंटे और शहरों में दो घंटे तक की कटौती रही। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार से यह संकट और बढ़ सकता है। फर्नेश उद्योगों में आठ से दस घंटे और अन्य उद्योगों में छह से आठ घंटे तक की बिजली कटौती हो सकती है। राज्य को पहले 7.5 एमयू बिजली गैस प्लांट से मिलती थी। जो कि पूरी तरह बंद हैं। इस बार गर्मी बढ़ने से पांच एमयू की डिमांड समय से पहले ही बढ़ गई है। इस तरह राज्य पर 12.5 एमयू का अतिरिक्त भार बढ़ गया है।
महाराष्ट्र में भी बिजली कटौती
महाराष्ट्र में बिजली कटौती शुरू हो गई है। महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य के कुछ हिस्सों में कटौती की जा रही है। क्योंकि राज्य 1400 से 1500 मेगावाट बिजली की कमी से जूझ रहा है। लोडशेडिंग उन इलाकों में ज्यादा किया जा रहा है, जहां से बिजली के बिलों का बकाया राशि ज्यादा है। राज्य के ऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत का कहना है कि कटौती कब तक चलेगी, इस बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता। ऊर्जा मंत्री राउत ने आम लोगों से सावधानी से बिजली का उपयोग करते हुए सहयोग की अपील की है।
106 संयंत्रों में कोयला संकट
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के आकंड़ो के मुताबिक, देश में कुल 173 बिजली संयंत्र हैं। इनमें 9 संयंत्र पूरी तरह बंद पड़े हैं, जबकि 106 संयंत्रों में कोयले की स्थिति क्रिटिकल स्टेज में है। बिजली संयंत्र में कोयले का स्टॉक 'क्रिटिकल' श्रेणी में होने का अर्थ यहां होता है कि संयंत्र में सात दिन से कम का कोयला बचा है। ऐसा नहीं है कि बिजली संयंत्रों पर अतिरिक्त भार पड़ने की वजह से कोयला संकट पैदा हुआ है। सीईए के आंकड़े बताते हैं कि 21 जनवरी को सिर्फ 79 बिजली संयंत्र क्रिटिकल स्टेज में थे। फरवरी के अंत तक यह आंकड़ा 84 और मार्च के अंत तक (21 मार्च) तक 85 संयंत्र क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए।
ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ा
कई राज्य अपनी मांग को पूरा करने के लिए ग्रिड से अतिरिक्त बिजली ले रहे हैं। ग्रिड ऑपरेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्प (पोसोको) ने राज्यों को पत्र लिखकर पश्चिमी क्षेत्र में लोड डिस्पैच सेंटर से अतिरिक्त बिजली नहीं लेने की चेतावनी दी है। ताकि, ग्रिड को किसी तरह का कोई नुकसान न हो। सूत्रों का कहना है कि बिजली संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य डिस्पैच सेंटर से ज्यादा बिजली ले रहे हैं। इससे राष्ट्रीय ग्रिड पर दबाव बढ़ सकता है। पश्चिमी क्षेत्र लोड डिस्पैच सेंटर ने अधिक बिजली निकासी के खिलाफ केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) में याचिका भी दायर की थी। जिसके बाद राज्यों को यह हिदायत दी गई थी।
इन राज्यों में भी असर:
राजस्थान: 7,580 मेगावॉट क्षमता वाले सभी सातों तापीय संयंत्रों के पास कोयले का बहुत कम स्टॉक बचा है।
पंजाब: राजपुरा संयंत्र में 17 दिनों का कोयला भंडार बचा है, जबकि तलवंडी साबो संयंत्र के पास चार दिन का स्टॉक है।
हरियाणा: यमुनानगर संयंत्र में आठ दिन और पानीपत संयंत्र में सात दिन का स्टॉक है।
क्या है वजह?
- देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।
- लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौट रही औद्योगिक गतिविधियों के चलते उद्योगों में बिजली की खपत बढ़ी।
- गर्मी के कारण भी कई बिजली कंपनियों में मांग में 7-10% तक वृद्धि हुई है।
- कोयले की आपूर्ति पहले की तरह हो रही है। समस्या मांग बढ़ने से हुई है
कोयले की वजह से नहीं बल्कि तकनीकी कारणों से उत्पादन प्रभावित हुआ है। अनपरा की दो यूनिटों में लीकेज के कारण उत्पादन बंद हुआ है। यह शीघ्र चालू हो जाएगी। लेनको पावर प्लांट बंद हो गया था, जो चालू हो गया है। मंत्री एके शर्मा ने भारत सरकार से प्रदेश को पर्याप्त कोयला भेजने का आग्रह किया है। गांवों को रात में भी पर्याप्त बिजली देने की कोशिश हो रही है। - एम. देवराज, चेयरमैन यूपी पावर कॉरपोरेशन

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