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बांग्लादेशी स्कॉलर का पोस्टर...अब आप ने उठाया ये कदम

jantaserishta.com
24 July 2022 10:47 AM GMT
बांग्लादेशी स्कॉलर का पोस्टर...अब आप ने उठाया ये कदम
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: आखिरकार आम आदमी पार्टी ने जामिया नगर के फाउंटेन पार्क से बांग्लादेशी स्कॉलर का पोस्टर हटा दिया है. AAP ने इस पोस्टर को कई महीने पहले लगाया था. इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बांग्लादेशी स्कॉलर की तस्वीर थी. इस संबंध में आजतक ने एक दिन पहले गड़बड़ी सामने लाई थी. इसके साथ ही AAP नेतृत्व से भी बातचीत करने की कोशिश की थी. हालांकि, संपर्क नहीं हो सका था. दूसरे दिन रविवार को फ्लेक्स से विवादित तस्वीर का हटा दिया गया.

बताते चलें कि AAP ने दिल्ली के जामिया नगर में 'फ्रीडम फाइटर फाउंटेन' में कई महीने पहले एक फ्लेक्स लगाया था. इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महमूद हसन देवबंदी की जगह बांग्लादेशी स्कॉलर मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर लगा दी थी. बताते चलें कि देवबंदी दिल्ली के जामिया नगर में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के को-फाउंडर्स में से एक हैं.
इस फ्लेक्स में महात्मा गांधी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव, शहीद अशफाकउल्ला खान समेत अन्य भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें थीं. इस संबंध में आजतक में खबर चलने के बाद AAP विधायक अमानतुल्ला खान ने रातों-रात तस्वीर हटाने का आदेश दिया. गड़बड़ी उजागर होने के बाद पोस्टर से मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर काट दी गई है.
महमूदुल हसन सरकार समर्थक इस्लामिक स्कॉलर, लेखक, धार्मिक सुधारक, शिक्षक, सार्वजनिक वक्ता और आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 5 जुलाई 1950 को बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के कोतवाली थाना के चरखरिचा गांव में हुआ था. वर्तमान में वह गुलशन सेंट्रल आजाद मस्जिद और ईदगाह सोसाइटी, मजलिस-ए-दावतुल हक बांग्लादेश के अमीर में खबतीब हैं.
2020 में जात्राबाड़ी मदरसा के प्रिंसिपल और गुलशन आजाद मस्जिद के पूर्व खतीब मौलाना महमूदुल हसन को बांग्लादेश कौमी मदरसा एजुकेशन बोर्ड (बेफाक) का नया अध्यक्ष चुना गया है.
महमूद हसन देवबंदी का जन्म 1851 में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनके पिता जुल्फिकार अली देवबंदी, दारुल उलूम देवबंद के सह-संस्थापक और बरेली कॉलेज में प्रोफेसर थे.
देवबंदी ने भारत में ब्रिटिश शासन का जोरदार विरोध किया और खिलाफत कमेटी द्वारा उन्हें 'शेख अल-हिंद' (भारत के नेता) की उपाधि से सम्मानित किया गया. हसन ने मुहम्मद अली जौहर और हकीम अजमल खान के साथ जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना की. वह दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले पहले छात्र थे. हसन ने मुसलमानों को असहयोग आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया. हसन को दिसंबर 1916 में सिल्क लेटर मूवमेंट के लिए गिरफ्तार किया गया था. 30 नवंबर, 1920 को उनका निधन हो गया.
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