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भारत में 'कोवैक्सीन' पर आधारित डाक टिकट जारी

Nilmani Pal
17 Jan 2022 12:55 AM GMT
भारत में कोवैक्सीन पर आधारित डाक टिकट जारी
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दिल्ली। देश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान (vaccination campaign) के एक साल पूरा होने के अवसर पर रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने स्वदेश निर्मित टीके 'कोवैक्सीन' पर आधारित डाक टिकट जारी किया. साथ ही कहा कि देश की 70 फीसदी वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराक जबकि 93 फीसदी को पहली खुराक दी जा चुकी है. विशेष डाक टिकट (special postal stamp) जारी करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि यह भारतीयों के लिए गर्व का पल है और पूरा विश्व भारत के कोविड टीकाकरण अभियान की उपलब्धि से अचंभित है. उन्होंने इस सफल अभियान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी करार दिया.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि पिछले साल 16 जनवरी को जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी, तब कुछ लोगों ने टीकाकरण अभियान को लेकर संशय जाहिर किया था और स्वदेशी टीके के प्रभावी और सुरक्षित होने के संबंध में भ्रामक प्रचार किया गया. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दृढ़ निश्चयी थे और उन्होंने वैज्ञानिकों और कंपनियों का उत्साहवर्धन जारी रखा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों और वैज्ञानिक समुदाय का आभार जताते हुए कहा कि हमारा टीकाकरण अभियान इस बात का उदाहरण है कि अगर नागरिक जनभागीदारी की भावना के साथ आगे आएं तो भारत क्या उपलब्धि हासिल कर सकता है. ये 'आत्मनिर्भर भारत' का एक बेहतरीन उदाहरण है. विशेष डाक टिकट में एक स्वास्थ्यकर्मी को बुजुर्ग लाभार्थी को टीके की खुराक देते दर्शाया गया है. साथ ही टिकट पर कोवैक्सीन की शीशी भी दिखाई गई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि भारत इतनी बड़ी आबादी और विविधता के बावजूद 156 करोड़ खुराक देने की उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहा. कोविड टीकाकरण अभियान के एक साल पूरा होने के अवसर पर आईसीएमआर और भारत बायोटेक की ओर से विकसित स्वदेशी टीके पर आधारित डाक टिकट जारी किया गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौके पर सभी वैज्ञानिकों को बधाई भी दी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र ने टीका रिसर्च पर मिलकर काम किया और नौ महीने में एक स्वदेशी कोविड टीके को विकसित किया गया. साथ ही टीके को मंजूरी देने की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया.

इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एक ट्वीट में कहा कि भारत ने पिछले साल एक अप्रैल को टीके की 10 करोड़ खुराक देने की उपलब्धि हासिल कर ली थी. उन्होंने कहा कि 25 जून को 25 करोड़ खुराक, छह अगस्त को 50 करोड़ और 13 सितंबर को 75 करोड़ खुराक देने का आंकड़ा पार किया गया. अभियान पिछले साल 16 जनवरी से तब शुरू हुआ था, जब पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीके की खुराकें दी गईं थीं. इसके बाद अग्रिम मोर्चे के अन्य कर्मियों के लिए टीकाकरण दो फरवरी से शुरू हुआ था. कोविड-19 टीकाकरण का अगला चरण एक मार्च से शुरू हुआ, जिसमें 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और 45 साल से अधिक उम्र के उन लोगों को टीका लगाया गया, जिन्हें अन्य गंभीर बीमारियां थी.

अभियान के अगले चरण में 45 साल से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण एक अप्रैल से शुरू हुआ था. सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण की अनुमति देकर अभियान का दायरा एक मई 2021 से और बढ़ा दिया था. इसके बाद 15 से 18 आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान का अगला चरण इस साल तीन जनवरी से शुरू हुआ. भारत ने स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को कोविड टीके की एहतियाती खुराक देना 10 जनवरी से शुरू कर दिया, जिसमें मतदान वाले पांच राज्यों में तैनात मतदान कर्मी और 60 साल और उससे अधिक आयु के लोगों को शामिल किया गया है. कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार को रोकने की कवायद के तहत एहतियाती खुराक दी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि टीकाकरण के लिए काफी कम जनसंख्या वाले कई विकसित पश्चिमी देशों की तुलना में भारत का टीकाकरण कार्यक्रम सबसे सफल और सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक रहा है.


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