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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को राज्यपाल बनाने पर मचा बवाल, कांग्रेस ने कहा- सेवानिवृत्ति के बाद जजों की नियुक्ति न्यायपालिका के लिए खतरा

jantaserishta.com
12 Feb 2023 12:25 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को राज्यपाल बनाने पर मचा बवाल, कांग्रेस ने कहा- सेवानिवृत्ति के बाद जजों की नियुक्ति न्यायपालिका के लिए खतरा
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में एस. अब्दुल नजीर की नियुक्ति के बाद, कांग्रेस ने रविवार को कहा कि 'यह न्यायपालिका के लिए खतरा है'। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पूर्व कानून और वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को कोट किया। जेटली ने 2013 में कहा था, सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों और न्यायपालिका के लिए इसके खतरे से प्रभावित होते हैं।
सिंघवी ने कहा, हम भी इसी भावना को साझा करते हैं, यह न्यायपालिका के लिए खतरा है। उन्होंने कहा, यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं लेकिन सिद्धांत रूप में हम सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ हैं।
सिंघवी ने कहा कि भाजपा का यह बचाव कि यह पहले भी हुआ था, कोई बहाना नहीं हो सकता और मुद्दा जस का तस है। कांग्रेस सांसद और संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने अरुण जेटली का वीडियो क्लिप शेयर किया और कहा कि पिछले 3-4 सालों में इसका पर्याप्त सबूत है।
रंजन गोगोई के बाद यह दूसरी नियुक्ति है। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच का हिस्सा रहे जस्टिस एस. अब्दुल नजीर जनवरी में सेवानिवृत्त हुए थे। न्यायमूर्ति नजीर के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने 2016 की नोटबंदी प्रक्रिया को सही ठहराया था। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और नेताओं के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की कोई जरूरत नहीं है।
जस्टिस नजीर का 5 जनवरी 1958 को कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलुवई में जन्म हुआ था। जस्टिस नजीर ने लॉ की डिग्री हासिल हासिल करने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की और 12 मई 2003 को इसके अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। वह 24 सितंबर 2004 को स्थायी न्यायाधीश बने और 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में में पदोन्नत हुए।
न्यायमूर्ति नजीर कई ऐतिहासिक संविधान पीठ के फैसलों का हिस्सा थे, जिसमें ट्रिपल तालक, निजता का अधिकार, अयोध्या मामला और हाल ही में नोटबंदी पर केंद्र के 2016 के फैसले और सांसदों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है। न्यायमूर्ति नजीर ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका की स्थिति आज उतनी गंभीर नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी, हालांकि गलत सूचना के कारण गलत धारणा व्यक्त की जाती है।
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