राजस्थान कांग्रेस में तेज होने लगी सियासत, सचिन पायलट समर्थक हो रहे मुखर
जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर से सियासत तेज होने लगी है। पार्टी में पायलट समर्थक विधायक मुखर हो रहे है। दूसरी तरफ पार्टी व संगठन जल्द ही शेष संगठनात्मक फैसले करने की तैयारी कर रहा है। बची हुई राजनीतिक नियुक्तियां भी की जाएगी। इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बीच विधानसभा में गहन मंत्रणा हो चुकी है। माना जा रहा हैं कि शेष कांग्रेस जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर मंत्रणा की गई हैं। इसके अलावा कुछ नए बोर्ड, निगमों में भी चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। बैठक में ये भी तय हुआ कि रंधावा 24 मार्च को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बैठक लेंगे।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब केवल कुछ महीनों का फासला है। संभव है कि प्रदेश में सितंबर के अंत या अक्टूबर में आचार संहिता लग जाए। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास अब केवल 6 महीने बचे हैं। छह माह बाद उसे जनता की अदालत में जाना होगा। पार्टी में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जिस तरह से शीत युद्ध जारी है, वह यदि नहीं थमा तो कांग्रेस के लिए सियासी डगर आसान नहीं होगी। इसी शीत युद्ध के कारण अब तक राजस्थान कांग्रेस जिला अध्यक्ष नहीं बना पाई है। बिना जिला अध्यक्षों के कैसे पार्टी चुनावी वैतरणी में उतरेगी, सियासी हलकों में इसकी चर्चा काफी तेज हो गई है। इस असमंजस को समाप्त करने के लिए प्रदेश प्रभारी रंधावा ने साफ कह दिया है कि वे मंत्रियों व विधायकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे। विधायक दल की बैठक बुलाना भी विवाद का विषय बन गया है।
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा दो दिन 20 और 21 मार्च को जयपुर दौरे पर थे। 20 मार्च को रंधावा को कांग्रेस पदाधिकारियों और अन्य नेताओं के साथ बैठक करनी थी, लेकिन उसे अपरिहार्य कारणों से निरस्त किया गया। अब यह बैठक आगामी शुक्रवार यानी 24 मार्च को राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में होगी। 20 मार्च को रंधावा ने कई नेताओं के साथ गुप्त बैठकें भी की, वहीं 21 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भी करीब 3 घंटे विधानसभा में चर्चा की, जिसमें सबसे प्रमुख चर्चा जिला अध्यक्षों को लेकर थी।
बीते मंगलवार को रंधावा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की 3 घंटे बंद कमरे में मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। हकीकत यह है कि इन तीनों नेताओं में कई चरणों में वार्ताएं हो चुकी है लेकिन अभी राजस्थान में जिला अध्यक्ष नहीं बन सके हैं। राजस्थान में 39 जिला अध्यक्ष कांग्रेस संगठन के बनते हैं, उनमें से 13 जिला अध्यक्षों की घोषणा एक साल पहले कर दी गई थी। हालांकि उदयपुर चिंतन शिविर फार्मूले के तहत 5 साल से ज्यादा एक पद पर किसी नेता के नहीं रहने के नियम के चलते इन 13 में से 5 जिला अध्यक्षों को भी इस्तीफा देना पड़ा।
ऐसे में कांग्रेस पार्टी के अभी 8 जिला अध्यक्ष बने हैं, 31 जिला अध्यक्ष बनाए जाने शेष हैं। उदयपुर चिंतन शिविर के अनुसार अब कांग्रेस पार्टी को अपने जिला अध्यक्षों में से 50 फीसदी जिला अध्यक्ष के पद 50 साल से कम आयु के युवा नेता को देने होंगे। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा 24 मार्च को दोबारा जयपुर आएंगे। 20 मार्च को कांग्रेस पदाधिकारियों, निवर्तमान और वर्तमान जिला अध्यक्षों और बोर्ड निगम के चेयरमैन के साथ बैठक के दौरान कई सुझाव मिले थे, उन सुझावों को ध्यान में रखते हुए आगामी चुनाव को लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।