भारत

महाराष्ट्र की सियासत: महाविकास आघाडी पर मंडरा रहे हैं संकट के बादल

Nilmani Pal
23 Jun 2022 1:38 AM GMT
महाराष्ट्र की सियासत: महाविकास आघाडी पर मंडरा रहे हैं संकट के बादल
x

मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में इस समय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना के लिए वर्चस्व की लड़ाई जारी है. एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद से ही पूरी महा विकास अघाडी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. लेकिन उन तमाम संकटों के बीच सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन के जरिए साफ कर दिया कि अगर कोई विधायक सामने से आकर कहेगा तो वे तुरंत इस्तीफा दे देंगे.

अब उद्धव ठाकरे का ये अंदाज, उनके ये तेवर आज से 30 साल पहले बाला साहेब ठाकरे ने भी दिखाए थे. कह सकते हैं कि उद्धव ने अपने ही पिता के अंदाज में एक बड़ा सियासी संदेश दे दिया है. 30 साल पहले 1992 में शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि उनका पूरा परिवार शिवसेना छोड़ रहा है. जिस पार्टी को उन्होंने संजोया था, जमीन पर जिसका संगठन खड़ा किया था, उस पार्टी को वो हमेशा के लिए अलविदा कहने को तैयार हो गए थे. ये पूरा किस्सा 1992 को प्रकाशित हुए सामना के एक लेख में देखने को मिलता है.

असल में उस समय शिवसेना के ही एक पुराने साथी माधव देशपांडे ने बाला साहेब ठाकरे और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा दिए थे. उनके भतीजे राज ठाकरे और बेटे उद्धव ठाकरे पर भी जमकर निशाना साधा गया था. आरोप लगा दिया गया कि दोनों ही पार्टी के मामलों में काफी दखलअंदाजी कर रहे हैं. अब बाला साहेब को ये बिल्लुक भी गवारा नहीं था. कोई उन्हीं के परिवार पर ऐसे आरोप लगाए, ये उन्हें मंजूर नहीं था. ऐसे में उन्होंने सामना में एक लेख लिखा. उसमें उन्होंने एक ऐसा ऐलान कर डाला जो पूरी शिवसेना को हैरत में डाल गया, वे प्रदर्शन करने लगे, खुद को मारने की धमकी तक देने लगे.

उस समय बाला साहेब ठाकरे ने लिखा था कि अगर एक भी शिव सैनिक मेरे या फिर मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा होता है और ये कहता है कि हमने आपकी वजह से पार्टी छोड़ दी, मैं इसी पल से शिवसेना अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहता हूं. मेरा पूरा परिवार ही शिवसेना छोड़ रहा है. अब बाला साहेब ठाकरे के इस एक ऐलान ने पूरी पार्टी को अंदर तक झकझोर दिया. जो भी विरोध था, जो भी शिकायतें थीं, सभी किनारे कर दी गईं और एक नई मुहिम शुरू हुई- बाला साहेब को मनाने की. उनसे कहने की कि आपके बिना शिवसेना नहीं चल सकती. हालात ऐसे कर दिए गए जहां पर कुछ शिव सैनिकों ने खुद को आग के हवाले करने तक की बात कर दी. शिवसेना भवन के बाहर भी लाखों शिवसैनिक बाला साहेब के समर्थन में नारे लगाने लगे.

उस एक घटना के बाद जब तक बाला साहेब रहे, उनके खिलाफ पार्टी में किसी ने आवाज नहीं उठाई, उनके खिलाफ किसी ने बगावती तेवर नहीं दिखाए. अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी ऐसे ही तेवर दिखा रहे हैं. वे इस्तीफा देने की पेशकश जरूर कर रहे हैं, लेकिन इसके बहाने अपने पूरे संगठन को एकजुट अपने पक्ष में करने की कवायद करते भी दिख रहे हैं. क्या बाला साहेब की तरह सफल हो पाते हैं, ये आने वाले दिनों में पता चल जाएगा.

सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के दौरान कहा कि शिवसेना ने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है. हिंदुत्व हमारी सांस में है. अभी यह बताने का समय नहीं है कि किसने हिंदुत्व के लिए क्या किया? मैं बालासाहेब हिंदुत्व को आगे ले जाने की कोशिश कर रहा हूं.

उन्होंने कहा कि जो नाराज विधायक हैं, वे मेरे पाए आएं और बात करें. मैं मुख्यमंत्री पद क्या शिवसेना अध्यक्ष का पद भी छोड़ने के लिए तैयार हूं. मैं आपके साथ आने तैयार हूं. संख्या किसके पास कितनी है, मुझे इससे मतलब नहीं है. जिसके पास संख्या होती है, वही जीतता है. मैंने जिन्हें अपना मानता हूं, वे गुवाहाटी गए हैं, वे आकर मुझसे बात करें.

सीएम ने कहा कि अगर कोई शिवसैनिक सीएम बनता है तो मुझे खुशी होगी लेकिन अगर किसी को कोई समस्या है तो वह मुझसे बात करे लेकिन मेरे साथ कोई गद्दारी न करे. मैं इस्तीफा देने तैयार हूं लेकिन मेरी कोई मजबूरी नहीं है, मैं किसी पर निर्भर नहीं हूं.उन्होंने यह भी कहा कि मुझे सीएम बनाने के लिए खुद एनसीपी चीफ शरद पवार ने मुझसे बात की थी. सोनिया गांधी ने भी मुझपर भरोसा जताया था.


Next Story