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हिजाब विवाद पर फिर तेज हुई सियासत

jantaserishta.com
16 March 2022 3:51 AM GMT
हिजाब विवाद पर फिर तेज हुई सियासत
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नई दिल्ली: कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) मामले में हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने छात्राओं की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और स्कूलों की ओर से जारी यूनिफार्म की बाध्यता सही है. इसके बाद पाकिस्तान (Pakistan on Hijab Row) ने इस फैसले पर गंभीर चिंता जताई है और दावा किया है कि यह फैसला धार्मिक रीति-रिवाजों की स्वतंत्रता के सिद्धांत को बरकरार रखने में विफल हुआ है और वह मानवाधिकार का अतिक्रमण करता है.

कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने क्लास में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित 'गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज' की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. तीन जजों की पूर्ण पीठ ने कहा कि स्कूल की ड्रेस का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं. इसके बाद याचिकाकर्ता छात्राओं ने कोर्ट के आदेश को 'असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि उनकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'स्पष्ट तौर पर यह फैसला धार्मिक रीति-रिवाजों की स्वतंत्रता के सिद्धांत को अक्षुण्ण रखने में विफल हुआ है और वह मानवाधिकार का अतिक्रमण करता है.' उसने कहा, 'यह फैसला निरंतर जारी मुस्लिम विरोधी अभियान में एक और गिरावट का प्रतीक है, क्योंकि इस अभियान के तहत मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए धर्मनिरपेक्षता की आड़ ली जा रही है.'
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि भारत अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान खोता जा रहा है जो उसके अल्पसंख्यकों के लिए घातक है. पाकिस्तान ने भारत सरकार से अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों की और अपने धर्म का पालन करने के उनके अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति के लिए याचिकाओं को खारिज करने संबंधी कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले को चुनौती दी गई है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा था. इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक मुस्लिम छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

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