महाराष्ट्र में राजनीतिक संग्राम: शिंदे गुट की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
मुंबई। महाराष्ट्र का राजनीतिक संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है. शिवसेना के बागी शिंदे गुट की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. शिंदे गुट की तरफ से 15 विधायकों ने सर्वोच्च अदालत का रुख किया है. याचिका में खासतौर पर दो बातों का जिक्र है. पहला तो यह की विधायकों ने उन्हें अयोग्य ठहराने के डिप्टी स्पीकर के नोटिस को अवैध बताते हुए चुनौती दी है और दूसरा उन्होंने खुद के और परिवार के लिए कोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की है. आज सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट की तरफ से दिग्गज वकील हरीश साल्वे केस की पैरवी करेंगे. वहीं, शिवसेना की ओर से भी वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलीलें देंगे. महाराष्ट्र सरकार की तराफ से देवदत्त कामत तो वहीं डिप्टी स्पीकर की तरफ से एडवोकेट रवि शंकर जंध्याला केस लड़ेंगे. विधायकों की तरफ से 2 याचिकाएं लगाई गई हैं.
सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ दोनों याचिका की सुनवाई करेगी. सुनवाई में 7 पक्ष शामिल रहेंगे. इनमें डिप्टी स्पीकर, राज्य विधान सभा सचिव, महाराष्ट्र सरकार, अजय चौधरी (उद्धव की तरफ से विधायक दल के नए नेता), सुनील प्रभु (उद्धव सरकार के नए चीफ व्हिप), भारत संघ, डीजीपी महाराष्ट्र शामिल हैं.
बागी विधायकों ने याचिका में कहा है कि शिवसेना विधायक दल के 2 तिहाई से ज्यादा सदस्य हमारा समर्थन करते हैं. ये पता होने के बाद भी डिप्टी स्पीकर ने 21 जून को पार्टी के विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया. नोटिस के बाद उन्हें और उनके अन्य सहयोगियों को रोज धमकियां मिल रही हैं. उनके जीवन पर खतरा है. दूसरे पक्ष (शिवसेना) ने न केवल उनके घर-परिवार से सुरक्षा वापस ले ली है, बल्कि बार-बार पार्टी कार्यकर्ताओं को भड़काने की कोशिश की जा रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता के कुछ सहयोगियों की संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. विधायकों की याचिका में कहा गया है कि उन्होंने शिवसेना की सदस्यता नहीं छोड़ी है.
इस तरह के सरकार या विपक्ष में दो फाड़ होने के दर्जनों मामले अब तक सुप्रीम कोर्ट में आ चुके हैं. उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के रुख के आधार पर उम्मीद यही है कि कोर्ट डिप्टी स्पीकर की भूमिका, नियुक्तियों और अयोग्यता के विषय पर शायद ही कोई एक्शन लेगा या नोटिस जारी करेगा. पूर्व की सुनवाइयों को देखें तो कोर्ट सदन में शक्ति परीक्षण कराकर दूध का दूध और पानी का पानी करवाने के लिए ही कदम बढ़ा सकता है. कर्नाटक, गोवा जैसे राज्यों में कई बार फैसला कोर्ट से नहीं, बल्कि विधायिका के सदन से ही आया.
भारत गोगावले, प्रकाश राजाराम सुर्वे, तन्हाजी जयवंत सावंत, महेश संभाजीराजे शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीपन आसाराम भुमरे, संजय पांडुरंग सिरशसती, यामिनी यशवंत जाधव, अनिल कलजेराव बाबर, लतबाई चंद्रकांत सोनवणे, रमेश नानासाहेब बोर्नारे, संजय भास्कर रायमुलकरी, चिमनराव रूपचंद पाटिल, बालाजी देवीदासराव कल्याणकर, बालाजी प्रहलाद किनिलकर. भारत गोगावले को बागी गुट अपना मुख्य सचेतक नियुक्त कर चुका है.