चेन्नई chennai news। 10 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि 31 अगस्त को पुलिस ने उन्हें पीटा और घंटों तक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा. हालांकि, पुलिस ने आरोपों से इनकार कर दिया है. जानकारी के मुताबिक 30 अगस्त को बच्ची की मां ने स्कूल के बाद अपनी बेटी से तेज़ गंध आती देखी. इसके बाद कुछ गड़बड़ होने का संदेह होने पर वह बच्ची को एक स्थानीय क्लिनिक में ले गई. वहां के चिकित्सा पेशेवरों ने यौन शोषण का संदेह जताया और परिवार को एक सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया. rape
एफआईआर के मुताबिक मां ने शुरू में अपने पति से इसके बारे में नहीं पूछा. लेकिन बाद में लड़की की मां ने मेडिकल जांच की मांग की. जांच के बाद डॉक्टरों ने पुष्टि की कि लड़की के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था. मां की शिकायत के मुताबिक नाबालिग ने आरोपी के रूप में पानी पहुंचाने वाले सतीश नामक व्यक्ति का नाम लिया है. बच्ची ने अपनी मां को यह भी बताया कि सतीश ने सात दिनों तक उसके साथ दुर्व्यवहार किया और अगर उसने दुर्व्यवहार की शिकायत की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी.
घंटों बाद मां का बयान दर्ज करने के लिए पुलिस की एक टीम अस्पताल पहुंची. पुलिस ने नाबालिग और मेडिकल स्टाफ से भी पूछताछ की. वहीं, एक एनजीओ कार्यकर्ता द्वारा कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो के जारी होने के बाद स्थिति ने नाटकीय मोड़ ले लिया. वीडियो में लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट की और उनके साथ गलत व्यवहार किया. लड़की के पिता ने यह भी दावा किया कि अधिकारियों ने उनकी पत्नी के खिलाफ जवाबी शिकायत दर्ज करने की धमकी दी. वीडियो में पिता को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने मेरी पत्नी के व्यवहार पर सवाल उठाए और मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी धमकी दी. वीडियो में नाबालिग की मां ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके साथ मारपीट की और उसके चरित्र पर सवाल उठाया.
पुलिस ने परिजनों की तरफ से लगाए सभी आरोपों से इनकार किया है. एक अधिकारी ने कहा कि माता-पिता की तरफ से लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. जांच में दुर्व्यवहार की बात झूठी निकली है. अधिकारियों ने मामले के सिलसिले में 1 सितंबर को एक 14 वर्षीय किशोर को गिरफ्तार किया है. किशोर को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि अभी तक आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. इसके अलावा पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और मामले को संभालने में प्रक्रियागत खामियों के दावों का भी खंडन किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल कल्याण समिति को 31 अगस्त को मामले की जानकारी दी गई थी.