आज के समय में बहू-बेटे बुजुर्गों को अपने ऊपर भार समझ लेते हैं और नासमझी के चलते उनके साथ बुरा बर्ताव करते हैं। वहीं सरकार ने बुजुर्गों को पारिवारिक प्रताड़ना से बचाने के लिए सरकार ने कानून बना दिया, लेकिन जो रक्षक होते हैं वही कभी-कभी भक्षक की भूमिका में आ जाते हैं। कुछ ऐसी ही संवेदनहीनता का मामला बहरोड़ पुलिस थाने से सामने आया है, जहां शुक्रवार को एक 64 वर्षीय वृद्धा ने थानाधिकारी पर न्याय दिलाने के बजाय थप्पड़ जड़ देने का आरोप लगाया है।
घटना की जानकारी के अनुसार, 64 वर्षीय रामरति देवी जो कि कस्बे के मानपुरा मोहल्ला की निवासी हैं। उन्होंने बताया कि उनके पुत्रों के बीच मकान को लेकर विवाद चल रहा है। और बेटे बुजुर्ग दंपती को घर में रहने को जगह नहीं दे रहे। उनके पति भी रिटायर पुलिसकर्मी हैं। इसी विवाद को लेकर वह गुरुवार को भी पुलिस थाने पहुंची थी। उन्होंने पुलिस से घर में रहने को कमरा दिलाने की मांग की। इसके बाद पुलिस उसके छोटे पुत्र को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर लाई। वहीं, बड़े पुत्र को भी थाने लाकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया। जबकि पीड़िता देर रात तक पुलिस थाने के बाहर बैठी रही।
शुक्रवार की सुबह उसने थाना अधिकारी को बताया कि; मकान उसके पति का है, लेकिन बेटे-बहू रहने को जगह नहीं दे रहे। गुजारिश की कि बड़ी बहू से एक कमरा दिलवा दें। महिला का आरोप है कि इसी दौरान थाना अधिकारी ने आपा खो दिया और उसे थप्पड़ जड़ दिया। उसने चीख-पुकार मचाई महिला कांस्टेबल को बुलाकर पिटाई करवाने को कहा। वृद्धा भागकर थाने से बाहर आ गई और पति रतिराम को आपबीती बताई। बेबस दंपती कस्बे के एक वकील के पास भी मदद लेने पहुंचे। इसके बाद थानाधिकारी के खिलाफ परिवाद दर्ज कराने की बात की गई।
घटना की सूचना पर मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे तो वृद्धा ने बिलखते हुए कहा कि उसने कोई गुनाह नहीं किया। वह तो पुलिस थाने में न्याय मांगने गई थी। उसे अपने ही घर में रहने को जगह नहीं मिल रही। थाने में पुलिस वालों ने भी पीटकर भगा दिया। वहीं इस मामले में थानाधिकारी बहरोड़ विनोद सांखला ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, लोग पुलिस पर बदनामी का ठीकरा फोड़ते हैं। महिला का पारिवारिक विवाद हैं। बेटे-बहू को जेल डलवाना चाहती है। जबकि वह लोग पढे़ लिखे हैं। मैंने कोई थप्पड़ नहीं मारा, झूठा आरोप है।