सालों पुराने केस में पुलिस को मिली सफलता, भगोड़ों को दबोचा
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने किडनैपिंग के 24 साल पुराने मामले में दो आरोपी भाइयों को गिरफ्तार किया है. दोनों पर चांदनी चौक इलाके में स्थित एक दुकान के कर्मचारी के अपहरण का आरोप है. तभी से दोनों भाई फरार थे. भगोड़ों की पहचान हरियाणा के गुरुग्राम निवासी पुनीत अग्रवाल (48) और पीतमपुरा निवासी विनीत …
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने किडनैपिंग के 24 साल पुराने मामले में दो आरोपी भाइयों को गिरफ्तार किया है. दोनों पर चांदनी चौक इलाके में स्थित एक दुकान के कर्मचारी के अपहरण का आरोप है. तभी से दोनों भाई फरार थे. भगोड़ों की पहचान हरियाणा के गुरुग्राम निवासी पुनीत अग्रवाल (48) और पीतमपुरा निवासी विनीत अग्रवाल (50) के रूप में हुई है.
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गिरफ्तारी से बचने के लिए भगोड़े लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे. विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि 29 जनवरी 2000 को कोतवाली थाने में सूचना मिली थी कि चांदनी चौक के किनारी बाजार से श्रीनाथ नाम के एक व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया है.
30 जनवरी 2000 को, श्रीनाथ अपने दुकान के मालिक के साथ कोतवाली पुलिस स्टेशन पहुंचे और आरोप लगाया कि सुनीत अग्रवाल, पुनीत और विनीत नाम के व्यक्तियों ने उनकी दुकान से उनका अपहरण कर लिया था और उन्हें रिहा करने के लिए फिरौती मांगी थी. बाद में, आरोपी व्यक्तियों ने उसे तुगलक रोड के पास छोड़ दिया और भाग गए.
मामले में सुनीत नामक शख्स को तो गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन विनीत और पुनीत दोनों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई. केस चलता रहा फिर 15 अक्टूबर 2004 में उन दोनों को भगोड़ा घोषित कर दिया गया. स्पेशल सीपी ने कहा कि हाल ही में विशेष इनपुट मिला था कि पुनीत और विनीत गुरुग्राम और पीतमपुरा इलाके में रह रहे हैं.
स्पेशल सीपी ने कहा, 'उनके विशिष्ट स्थानों का पता लगाने के बाद, पुलिस ने वहां छापेमारी की. पुनीत को गुरुग्राम के सेक्टर-62 से गिरफ्तार किया गया. तो वहीं, विनीत को दिल्ली के पीतमपुरा इलाके से अरेस्ट किया गया.' पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि आसानी से पैसे कमाने के लिए उन्होंने चांदनी चौक इलाके में दुकान मालिक को लूटने की योजना बनाई. योजना को अंजाम देने के लिए, उन्होंने उस दुकान पर काम करने वाले एक व्यक्ति का अपहरण कर लिया और दुकान के मालिक से 50,000 रुपये की मांग की.
उन्होंने आगे खुलासा किया कि अपराध करने के बाद वे 10 साल के लिए मुंबई चले गए और किसी से संपर्क नहीं किया. एक बार, उन्होंने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर ली और महसूस किया कि वे कानून के शिकंजे से बहुत दूर हैं तो वे दिल्ली/एनसीआर के क्षेत्र में लौट आए. वे अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार अपना पता बदल रहे थे.