![घटना के बाद पुलिस को कॉल रिकॉर्ड नहीं मिलता है घटना के बाद पुलिस को कॉल रिकॉर्ड नहीं मिलता है](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/07/29/3228435-155.webp)
भारत : भारत के गांवों पर नेपाली मोबाइल नेटवर्क कंपनी का कब्जा है। सीमा से सटे गांवों में भारतीय टेलीकाम कंपनी का या तो टावर नहीं, है भी तो नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता। व्यवस्था की इस खामी का फायदा अपराधी उठा रहे हैं। कोई भी वारदात होने पर पुलिस को नेपाली मोबाइल नंबर का काल डिटेल नहीं मिलता। एसपी श्रावस्ती ने सुरक्षा और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए इस समस्या का समाधान कराने के लिए एडीजी जोन को पत्र लिखा है। सीमा से सटे महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिले के गांव में भी यही समस्या है। इंडो-नेपाल सीमा पर चल रहे आपरेशन कवच के दौरान पुलिस 10 किमी की परिधि में स्थित गांवों में चौपाल लगा रही है। श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर व सिरसिया थानाक्षेत्र में सीमा से सटे राजपुर मोड़, सधईपुरवा, तुरुषमा व जब्दी गांव में पुलिस व खुफिया एजेंसी के अधिकारी पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने बताया कि इन गांवों में भारतीय टेलीकाम कंपनियों का कोई टावर नहीं है। इसकी वजह से यहां भारतीय कंपनियों के सिम कार्ड काम नहीं करते। भारत में रहकर भी लोगों को वाट्सएव व इंटरनेशनल काल करना पड़ता है। गांव से बाहर निकलने पर भारतीय नेटवर्क काम करता है। इसकी वजह से दोनों देशों के मोबाइल सिमकार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता है। एसपी श्रावस्ती ने एडीजी जोन अखिल कुमार को पत्र लिख मामले की जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से यह अनुचित है। जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन समाधान नहीं हुआ। इन गांवों में नेपाली सिम के ही काम करने की वजह से यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो सर्विलांस की मदद से कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। नेपाल सीमा से सटे सिद्धार्थनगर जिले के धनौरी, बगही, मड़नी, घरुआर डिहवा, बसंतपुर, लोहटी व कोटिया बाजार में भारतीय मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क बेहतर तरीके से काम नहीं करता है। इसलिए गांव के अधिकांश लोग नेपाली कंपनी के सिम का सहारा लेते हैं।