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मोना के कारनामें से हिला पुलिस प्रशासन, WhatsApp ग्रुप में बहस होते खुली पोल

Nilmani Pal
5 Oct 2023 2:26 AM GMT
मोना के कारनामें से हिला पुलिस प्रशासन,  WhatsApp ग्रुप में बहस होते खुली पोल
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राजस्थान। वो जब चाहे जिसे चाहे वर्दी की धौंस दिखा कर चुप करा देती. वो कभी एडीजी के साथ टेनिस खेलती, तो कभी पूर्व डीजीपी की बेटी की शादी में मेहमान बन जाती. कभी किसी कोचिंग सेंटर में जाकर पुलिस परीक्षा कैसे पास की जाए, इस पर नए-नए छात्रों को ज्ञान की घुट्टी पिलाती. कुल मिलाकर, उसका रौला ऐसा था कि बड़े से बड़ा पुलिस अफसर भी गच्चा खा जाए. लेकिन जब इस रौब-दाब ठसक, पुलिसिया चाल-ढाल और वर्दी के तिलिस्म से पर्दा हटा तो पता चला कि वो कोई पुलिस अफसर नहीं बल्कि नंबर एक की जालसाज है, जिसने राजस्थान पुलिस एकेडमी की कमियों का फायदा उठाते हुए दो साल तक फर्जी तरीके से पुलिस सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग की थी. उसने पुलिस वाली होने का ऐसा धमाल मचाया कि जब पोल खुला तो उसको जानने वाले लोग उसका सच जान कर हैरान रह गए.

इस जालसाल महिला का नाम मोना बुगालिया है. उम्र महज 23 साल है. मोना राजस्थान के नागौर जिले के निंबा के बास गांव की रहनेवाली है. वो बचपन से पुलिस अफसर बनना चाहती थी. इस सपने को पूरा करने की खातिर उसने कोशिश भी की थी. उसने बाकायदा इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी किया. इसका इम्तेहान भी दिया. लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद वो इस इम्तेहान में पास नहीं हो पाई. बस यहीं से उसके दिमाग ने साजिश का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया. मोना अपनी नाकामयाबी को हजम नहीं कर सकी. उसने सब इंस्पेक्टर के तौर पर ना चुने जाने के बावजूद सोशल मीडिया पर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में पास कर जाने की खबर फैला दी. वाहवाही बटोरने लगी. बस इसी बधाई और वाहवाही ने उसे उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां से शायद पीछे लौटना उसके लिए मुमकिन नहीं था. इसके बाद उसने एक हैरतअंगेज योजना बनाया.

मोना ने राजस्थान पुलिस एकेडमी की खामियों का फायदा उठाकर एंट्री ले ली. पूरे दो साल तक वहां सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग करती रही. कमाल देखिए वो एक साथ दो बैचों में ट्रेनिंग करती रही, लेकिन एकेडमी के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. क्योंकि वो बेहद चालाकी से अपनी योजना को अंजाम दे रही थी. उससे जब रेग्यूलर बैच में पूछा जाता तो वो बताती कि वो स्पोर्ट्स कोटे से है.

जब स्पोर्ट्स कोटे की ट्रेनिंग में सवाल किए जाते, तो वो कहती कि रेग्यूलर बैच की है. अटेंडेंस के दौरान पकड़े जाने से बचने के लिए कभी इंडोर क्लास और एक्टिविटीज अटेंड नहीं करती, क्योंकि उसे पता था कि यदि क्लास में जाएगी, तो उसकी पोल खुल जाएगी. इसी तरह जो भी ट्रेनिंग के लिए एकेडमी में आते हैं, उन्हें वहीं हॉस्टल में रहना होता है, लेकिन चूंकि मोना का नाम चुने गए कैंडिडेट्स में नहीं था, वो हॉस्टल में रह भी नहीं सकती थी.

ऐसे में वो रोजाना ट्रेनिंग एकेडमी में आती और बाहर चली जाती. वहां से आने-जाने के लिए भी उसने अनोखा तरीका ढूंढ रखा था. वो टेनिंग एकेडमी की मेन गेट से नहीं आती-जाती, क्योंकि वहां आई-कार्ड की चेकिंग होती थी, बल्कि इसके बदले वो उस गेट से एकेडमी में आती, जहां से पुलिस अफसरों के परिजन आते-जाते थे. एकेमडी में आने के बाद वो ज्यादातर वक्त कैंटीन, स्वीमिंग पूल, फैमिली क्वार्टर्स में गुजारती. एकेडमी की कैंटिन में वो बाकायदा वर्दी पहन कर जाती और नए-नए सब इंस्पेक्टर्स से दोस्ती करती.

एकेडमी का नियम ये है कि यहां चुने गए कैंडिडेट्स को अपनी वर्दी का खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है. मोना ने अपने लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई थी. पकडे जाने के डर से ही मोना ने कभी भी सब इंस्पेक्टर को मिलने वाला पगार भी लेने की कोशिश नहीं की. इस तरह मोना का गोरखधंधा लगातार चलता रहा.

मोना बुगालिया एक जगह गलती कर बैठी. दरअसल, पुलिस एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे सब इंस्पेक्टर्स ने अपना एक व्हाट्स एप गुप बना रखा था. वहां मोना की एक सब इंस्पेक्टर से बहस हो गई और उसने तब उसे एकेडमी से निकलवा देने की धमकी दे डाली. बस यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई. सब इंस्पेक्टर ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया. मोना का नाम किसी भी कोटे में नहीं मिला. ना रेग्यूलर कोटे में और ना स्पोर्ट्स कोटे में. इसके बाद उसने पुलिस अकेडमी के अधिकारियों से मोना की शिकायत की. अधिकारियों को जब अहसास हो गया कि मोना फर्जीवाडा कर रही है, तो उन्होंने आखिरकार मोना के खिलाफ शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट लिखवा दी. उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 468, 469 और 66 डीआईटी एक्ट और राजस्थान पुलिस एक्ट की धारा 61 के तहत केस दर्ज किया गया है. मोना फरार है.

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