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पीएम नरेंद्र मोदी ने की एनडीए सांसदों के साथ अहम बैठक

Shantanu Roy
2 Aug 2023 6:09 PM GMT
पीएम नरेंद्र मोदी ने की एनडीए सांसदों के साथ अहम बैठक
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक बार फिर एनडीए सांसदों के साथ अहम बैठक की। ये सांसद तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप से हैं। बैठक पार्लियामेंट एनेक्सी भवन में हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सांसद अपने क्षेत्रों में अपने काम का प्रचार करें। अपने नए कामों के बारें में लोगों को जागरूक करें। कॉल सेंटर्स की स्थापना कर अपने कामों का प्रचार करें। गरीब जनता तक अपनी पहुंच को बढ़ाएं। गरीब ही सबसे बड़ी जाति है। उनके लिए काम करने पर ही वोट मिलेंगे। बाकी किसी मुद्दे के आधार पर जनता आपको वोट नहीं देगी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 31 जुलाई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के भाजपा व एनडीए सांसदों की बैठक की अध्यक्षता की थी। इस दौरान उन्होंने सभी सांसदों से जनता के बीच जाने और सरकार की कामों के बारे में बताने को कहा था। इस दौरान उन्होंने विपक्षी नेताओं के गठबंधन I.N.D.I.A. को लेकर कहा था कि विपक्ष ने सिर्फ चोला बदला है, चरित्र नहीं। चोला बदल लेने से चरित्र नहीं बदल जाता। यूपीए के चरित्र में कई दाग हैं, इसीलिए उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी 31 जुलाई से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों से मिल रहे हैं। 10 अगस्त तक चलने वाली इन बैठकों में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके लिए भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए एनडीए सांसदों के 10 समूह बनाए हैं। भाजपा के लिए सबसे अधिक लोकसभा सीटों के कारण उत्तर प्रदेश की अहमियत सबसे ज्यादा है। मिशन 80 की तैयारियों में जुटी भाजपा यहां से सभी सीटों को जीतकर अपनी बढ़त बनाए रखना चाहती है। लेकिन सुभासपा, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ आने से उसके लिए सबको सीटों में भागीदारी देना अनिवार्य होगा। कुछ नए क्षेत्रीय दल भी शीघ्र ही उसका हिस्सा बन सकते हैं। ऐसे में सीटों के तालमेल को लेकर पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में ही यह तनाव सतह पर आ गया था, जब अपना दल ने अधिक सीटों की दावेदारी कर भाजपा की समस्या बढ़ा दी थी। पूर्वोत्तर में भाजपा ने अनेक छोटे-छोटे दलों को साथ लाकर अपने सहयोगी दलों की संख्या बड़ा दिखाने की कोशिश की है, लेकिन उसके इस कदम ने उसी को परेशानी में डाल दिया है। पूर्वोत्तर में कुल 26 सीटें हैं। इन सभी दलों को भागीदारी देने के लिए उन्हें कम से कम एक सीट भी दी जाए, तो भाजपा के अपने खाते में सीटों की संख्या बहुत कम हो जाएगी।
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