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pm मोदी आज लॉन्च करेंगे 'ओडिशा इतिहास' का हिंदी वर्जन, जानिए क्यों अहम है ये किताब

Triveni
9 April 2021 1:54 AM GMT
pm मोदी आज लॉन्च करेंगे ओडिशा इतिहास का हिंदी वर्जन, जानिए क्यों अहम है ये किताब
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पीएम मोदी अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आज दोपहर 12 बजे ‘उत्कल केशरी’ डॉ. हरेकृष्ण महताब लिखी गई किताब ‘ओडिशा इतिहास’ का हिंदी वर्जन लॉन्च करेंगे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पीएम मोदी अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आज दोपहर 12 बजे 'उत्कल केशरी' डॉ. हरेकृष्ण महताब लिखी गई किताब 'ओडिशा इतिहास' का हिंदी वर्जन लॉन्च करेंगे. अब तक उड़िया और अंग्रेजी में मौजूद इस किताब का हिंदी में अनुवाद शंकरलाल पुरोहित ने किया है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सांसद भर्तृहरि महताब भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे. हिंदी संस्करण के विमोचन का कार्यक्रम हरेकृष्णा महताब फाउंडेशन आयोजित कर रहा है. पीएमओ ने इस संबंध में जानकारी साझा की है. डॉ. हरेकृष्ण महताब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थे. उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया. उन्होंने अहमदनगर किला जेल में 'ओडिशा इतिहास' नाम की ये किताब लिखी. इस जेल में वो दो साल से ज्यादा 1942-1945 के दौरान रहे.'ओडिशा इतिहास' डॉ. हरेकृष्ण महताब की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली किताबों में से एक है.

जेल में लिखी थी ये किताब
हरेकृष्ण महताब एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वह ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री भी थे. उन्होंने 1946 से 1950 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया. वह संविधान सभा के सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बड़े राजनेताओं में से एक थे. उन्हें लोकप्रिय उपाधि 'उत्कल केसरी' के नाम से जाना जाता है. स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. वह 1942 से 1945 तक लगभग दो साल अहमदनगर फोर्ट जेल में रहे और उसी दौरान उन्होंने ओडिशा के इतिहास पर आधारित यह किताब लिखी. साल 1948 में 'ओडिशा इतिहास' का उड़िया एडिशन प्रकाशित किया गया था.
ओडिशा का इतिहास
इस किताब में ओडिशा (Odisha) के इतिहास के बारे में बताया गया है. वर्तमान ओडिशा राज्य तीन प्रदेशों औड्र, उत्कल और कलिंग के मिलने से बना है जिसका विस्तार प्राचीन काल में शबरों की भूमि से शुरू हुआ और फिर द्रविड़ और आर्य सभ्यता के प्रभाव से पैदा हुई नई सभ्यता के रूप में हुआ. इसमें कहा गया है कि द्रविड़ भाषा में 'ओक्वल' और 'ओडिसु' शब्द का मतलब 'किसान' है. कन्नड़ भाषा में किसान को 'ओक्कलगार' कहते हैं. मजदूरों को तेलगु भाषा में 'ओडिसु' कहा जाता है. इन 'ओक्कल' और 'ओडिसु' शब्दों से आर्यों ने संस्कृत में 'उत्कल' और ओड्र' शब्द बनाए.


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