एशियाई मोहल्ले में तेजी से करवट ले रही सियासत के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मध्य-एशिया (India-Central Asia meet) के पांच देशों के प्रमुखों के साथ आज शिखर बैठक करेंगे. अफगानिस्तान में तालिबान राज आने और चीन के साथ बढ़े सीमा तनाव के बीच यह पहला मौका होगा जब भारत और मध्य-एशियाई देश कजाखिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ताजीकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गीजस्तान के नेता बैठक करेंगे.
कोरोना संकट के कारण इन पांचों देशों के नेता गणतंत्र दिवस समरोह में खास मेहमान बनकर तो नहीं आ सके लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी वर्चुअल शिखर बैठक जरूर हो रही है. जनवरी 27 की शाम को करीब साढ़े चार बजे मध्य एशिया इलाके के देशों के साथ होने वाली शिखर बैठक कनेक्टिविटी से लेकर सुरक्षा समीकरणों और रणनीतिक जमावट के लिहाज से अहम है.
सोवियत संघ के विघटन के बाद स्वतंत्र हुए इन सभी देशों के साथ भारत के सदियों पुराने रिश्ते हैं. वहीं तेजी से पैर पसार रहे चीन से लेकर इस्लामिक जिहादी संगठनों ने इस इलाके में रणनीतिक समीकरणों को बदल दिया है. जाहिर है इन समीकरणों को लेकर भारत की भी अपनी चिंताए हैं. चीन के साथ बढ़े सीमा तनाव और अफगानिस्तान में कट्टरपंथी तालिबान राज के आने ने इन चिंताओं में इजाफा ही किया है. यही वजह है कि भारत बीते कुछ सालों से लगातार मध्य एशिया के इन मुल्कों के साथ अपनी करीबी और कनेक्टिविटी बढाने की कोशिश कर रहा है. इसीलिए भारत ने ईरान में बने चाबहार पोर्ट को रूस समर्थित इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जोड़ने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है जो उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान और किर्गीज़स्तान के साथ भी कारोबारी संपर्क बढ़ाता है.
ताजिकिस्तान जैसे मुल्क में तो भारतीय वायुसेना आयनी एयर बेस को भी संचालित करने में बीते कई सालों से मदद दे रही है. बैठक में कजाखिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव, किर्गीजस्तान के मुखिया सेदिर जपारोव, ताजिकिस्तान के इमामोली रहमान, तुर्कमेनिस्तान के नेता गुर्बान्गुली बेर्दीमोहामदोव और उज्बेकिस्तान के प्रमुख शवकत मिरिजी योये मौजूद होंगे.