देश के प्रधानमंत्री जब एक बच्ची के मेल का रिप्लाई करें और बच्ची की मुराद एक मेल से पूरी हो जाए तो इसे आप क्या कहेंगे? मामला अहमदनगर के सांसद संजय बिखे पाटिल की बेटी से जुड़ा है. जब 10 साल की बच्ची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को मुलाकात के लिए मेल किया और इसके बाद पीएम मोदी ने उस बच्ची से मुलाकात की. महाराष्ट्र के बड़े नेता राधाकृष्ण विखे पाटील की पोती और सुजय पाटिल की बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की जिद्द की, लेकिन पिता सुजय पाटिल इसको टालते रहे. उनकी बेटी अनिशा ने कई दिनों तक उनका पीछा नही छोड़ा. सुजय पाटिल रोज कहते थे, 'बेटी वे तो प्रधानमंत्री हैं, काम पर हैं.' लेकिन उसकी जिद्द बरकरार रही. वहीं एक दिन बेटी अनिशा ने अपने पिता के ईमेल से सीधे प्रधानमंत्री को एक मेल पर संदेश भेजा.
मिलने के लिए बुलाया
इस मेल में लिखा था, 'मैं अनीशा हूं और मैं आपसे मिलना चाहती हूं.' वहीं तब आश्चर्य का ठिकाना ना रहा जब कुछ देर बाद मेल पर जवाब आया और इसमें मिलने का समय बताया गया था. इस मेल के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनीशा की इच्छा पूरी कर दी. अगले दिन विखे पाटिल के परिवार के सभी सदस्य प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए पहुंचे लेकिन पीएम मोदी ने सबसे पहले पूछा, 'अनिशा कहां है?' इसके बाद उन्होंने अनिशा से 10 मिनट तक अकेले बातचीत की और अनीशा को चॉकलेट दी. वे इसके बाद फिर बातें करने लगे. वहीं अनीशा ने सवाल पूछना शुरू किया कि क्या आप यहां बैठते हो? क्या यह आपका कार्यालय है? कितना बडा ॲाफिस है!
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब दिया, 'यह मेरा स्थायी कार्यालय नहीं है. मैं तुमसे मिलने आया था क्योंकि तुम आए थे, मैं यहां आपसे बात करने आया हूं.' जब पीएम मोदी जवाब दे रहे थे तो अनीशा ने फिर पूछा, 'क्या आप गुजरात से हैं? तो आप कब राष्ट्रपति बनेंगे?' इस पर पीएम मोदी हंस पड़े. इस सवाल के बाद तुरंत सांसद सुजय पाटिल ने अनीशा को रोका. प्रधानमंत्री मोदी ने अनीशा के साथ 10 मिनट तक बातचीत की और खूब गपशप की.
दस साल की अनीशा, जो कई महीनो से पीएम मोदी से मुलाकात करना चाहती थी, एक मेल ने उसकी मुलाकात प्रधानमंत्री से करवा दी. हालांकि व्यस्त समय में जब संसद चल रही है, दिन भर बैठकों के दौर चलते हैं, बाढ़-कोरोना पर नजर रखनी होती है, देश दुनिया में कूटनीतिक समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं उन पर भी प्रधानमंत्री व्यस्त रहते हैं. ऐसे व्यस्त समय में से दस साल की बच्ची की दिल की इच्छा पूरी करने के लिए समय निकालना बच्चों के लिए स्नेह और सहृदयता दिखाता है.