भारत
पीएम मोदी सैन्य कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन मे दृढ़ संकल्प के लिए उनकी प्रशंसा की, कहा -रीति-रिवाजों में हमें स्वदेशीकरण अपनाना होगा
Apurva Srivastav
6 March 2021 5:52 PM GMT
x
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को केवडिया में सैन्य कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को केवडिया में सैन्य कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट और उत्तरी सीमा पर चुनौतीपूर्ण स्थिति के संदर्भ में पिछले एक साल में भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से दिखाए गए दृढ़ संकल्प के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने निर्णय लेने की गति को तेज करने के लिए समग्र नजरिए का आह्वान किया। समाचार एजेंसी एएनआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय के हवाले से बताया कि पीएम मोदी ने सेवाओं को विरासत प्रणाली से खुद को छुटकारा दिलाने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा उपकरणों और हथियारों के मामले में ही नहीं सशस्त्र बलों में प्रचलित सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और रीति-रिवाजों में भी हमें स्वदेशीकरण अपनाना होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि सैन्य और नागरिक क्षेत्र में हमें अपनी मानवशक्ति का बेहतर से बेहतर नियोजन करना चाहिए। हमें अपनी सुरक्षा के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा। मिलिट्री और सिविल के खांचे को तोड़ने के साथ हमें तेज गति से निर्णय लेने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को उपयोगिता और प्रासंगिकता खो चुकी विरासत प्रणाली और प्रथाओं से खुद को मुक्त करने की सलाह भी दी। तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना को 'भविष्य की ताकत' एक के रूप में विकसित करने की आवश्यकता बताई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अगले साल अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर धूमधाम से विविध कार्यक्रम आयोजित करेगा। सशस्त्र बलों को भी इस अवसर का सदुपयोग करते हुए इस तरह की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए जिनसे देश के युवा प्रेरणा ले सकें।
प्रधानमंत्री ने बताया कि संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमें सशस्त्र बलों के कुछ इनोवेशन देखने को मिले। कमांडरों का यह सम्मेलन बेहद उपयोगी रहा। इसमें विभिन्न सामरिक विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। इसमें भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया और इसके लिए सरकार ने अपने समर्थन को दोहराया।
Next Story