झारखंड। 'लाइब्रेरी मैन' के रूप में चर्चित संजय कच्छप के नाम की गूंज अब पूरे देश में पहुंच रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' की 92वीं कड़ी में उनके नाम और काम की चर्चा की। संजय कच्छप झारखंड सरकार में कृषि विभाग के अफसर हैं, जिन्होंने राज्य के पांच जिलों में अपने प्रयास से 40 पुस्तकालयों की स्थापना की है। इन पुस्तकालयों में मौजूद पुस्तकों की मदद से हजारों छात्र-युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं। कई छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता भी हासिल की हैं।
संजय जब खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे, तब गरीबी की वजह से उन्हें पुस्तकों और संसाधनों की कमी से जूझना पड़ा। वह कहते हैं, "मेरी सोच रही कि जिन अभावों और मुश्किलों का सामना मुझे करना पड़ा उन हालात से बाकी युवाओं को न गुजरना पड़े। इसी सोच के साथ मैंने सबसे पहली लाइब्रेरी चाईबासा का पुलहातू मुहल्ले में मुहल्ला लाइब्रेरी के नाम से खोली थी। इसके बाद से जहां भी मेरी पोस्टिंग होती है, मैं इस अभियान को आगे बढ़ाने की कोशिश करता हूं।" 42 वर्षीय संजय कच्छप के माता-पिता मजदूरी करते थे। उन्होंने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई की। उन्होंने चाईबासा के टाटा कालेज से इतिहास विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद 2004 में ट्रेन गार्ड के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा पास की। गार्ड की नौकरी करते हुए उन्होंने उच्चतर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी। उनका सपना आईएएस बनने का था। यह सपना तो पूरा नहीं हो पाया, लेकिन 2008 में झारखंड लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास कर कृषि विभाग में अफसर बन गये।
जिन भी स्थानों पर उनकी पोस्टिंग हुई, उन्होंने अपने वेतन की आधी रकम पुस्तकालय खोलने में लगा दी। अभियान आगे बढ़ा तो क्राउड फंडिंग से भी मदद मिली। वह अब तक पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लोहरदगा और गुमला में 40 पुस्तकालयों की स्थापना कर चुके हैं। इनमें 12 पुस्तकालय डिजिटल हैं। इन पुस्तकालयों से 5 से 7 हजार छात्र-युवा लाभान्वित हो रहे हैं। संजय वक्त निकालकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ाते भी हैं। सभी पुस्तकालयों में बैंक, रेलवे, कर्मचारी चयन आयोग, यूपीएससी परीक्षाओं के लिए मेटेरियल के अलावा कालेज स्तर की किताबें भी उपलब्ध करायी गई हैं। रविवार को प्रधानमंत्री ने मन की बात में उनके प्रयासों की सराहना की तो संजय का हौसला और बढ़ा है। वह बताते हैं कि मेरी मां ने जब यह सुना तो उन्होंने मुझसे कहा- और भी अच्छा काम करो।
झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग ने भी संजय कच्छप के लाइब्रेरी मॉडल को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। योजना बनाई गई है कि सभी ग्राम पंचायतों में पुस्तकालयों की स्थापना की जाए। पहले चरण में 500 पुस्तकालय खोलने की योजना है, जिसपर 22 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।