भारत
विदेशी मीडिया के निशाने पर पीएम मोदी, जानें कैसे की आलोचना
jantaserishta.com
1 May 2021 12:43 PM GMT
x
भारत में कोरोना की स्थिति में अभी सुधार नजर नहीं आ रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना के 4,01,993 नए मामले सामने आए हैं जबकि 3523 मरीजों ने दम तोड़ दिया. इसके साथ ही देश में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 2,11,853 लाख हो चुकी है. फिलहाल देश में 32,68,710 एक्टिव केस हैं.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को पस्त करके रख दिया है. अस्पतालों और श्मशानों में जगह नहीं बची है. पार्किंग एरिया में भी शवों को जलाया जा रहा है. सामूहिक दाह संस्कारों की तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाईं हुईं. इंटरनेशनल मीडिया में कोरोना संकट से बिगड़ते हालात को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों में भारत में मौजूदा कोरोना संकट को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इंटरनेशनल मीडिया में सरकार को जिम्मेदार करार दिया जा रहा है. इन रिपोर्टों में कहा गया है कि संभावित कोरोना संकट के बीच चुनावी रैलियां और कुंभ मेले का आयोजन करना गलत फैसला था.
सबसे नई रिपोर्ट अमेरिका की टाइम मैगजीन में "How Modi Failed Us" शीर्षक से प्रकाशित हुई जिसे भारतीय पत्रकार राणा अयूब ने लिखा है. लेख में कहा गया है कि भारत की मजबूत सरकार ने चीजों को नजरअंदाज किया.
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने की तैयारियों में कमी के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने कुंभ में 'सांकेतिक' तरीके से शामिल होने की अपील करने में देर कर दी. हजारों की संख्या में लोगों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया लेकिन देश के बड़े राजनेता चुनावी रैलियों में व्यस्त रहे.
द टाइम मैगजीन की तरह ही अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटेन के न्यूजपेपर द गार्जियन ने भी रिपोर्ट प्रकाशित की. न्यूयॉर्क टाइम्स ने "As Covid-19 Devastates India, Deaths Go Undercounted" हेडिंग से पिछले सप्ताह रिपोर्ट प्रकाशित की थी. रिपोर्ट में लिखा गया कि जब कोरोना से भारत में तबाही मची हुई थी, उस दौरान मौतों की संख्या को कम बताया जा रहा था. आंकड़ों में हेराफेरी की जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि श्मशान घाट के अधिकारी संक्रमितों की मौतों की वजह कोरोना बजाय 'बीमारी' बता रहे हैं, और सरकार की तरफ से कथित तौर पर आंकड़े घटाकर पेश किए जा रहे हैं.
इसी तरह द गार्जियन में "India's Covid Catastrophe" शीर्षक से प्रकाशित लेख में सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय लिखती हैं कि हम मानवता के खिलाफ एक अपराध होते देख रहे हैं. इस लेख में उन्होंने भारत में कोरोना के आंकड़ों की तुलना अहमदाबाद की उस दीवार से की जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गुजरात यात्रा के दौरान तैयार की गई थी. इसी अखबार में पिछले सप्ताह प्रकाशित संपादकीय में कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार के अति-आत्मविश्वास को जिम्मेदार बताया गया था.
'द ऑस्ट्रेलियन' में छपे एक लेख में कहा गया है कि कैसे अहंकार, अति-राष्ट्रवाद और नौकरशाही की अयोग्यता ने भारत में कैसे कोरोना संकट खड़ा कर दिया. इस सबके बीच भीड़ के बीच रहना पसंद करने वाले प्रधानमंत्री अपने में मस्त रहे और नागरिकों का दम घुटता रहा. 'द ऑस्ट्रेलियन' में छपी इस रिपोर्ट को लेकर कैनबरा स्थित भारतीय दूतावास ने कड़ा ऐतराज भी जताया था.
'द ऑस्ट्रेलियन' के लेख कहा गया कि केंद्र के अक्खड़पन, राष्ट्रवादी राजनीति, वैक्सीनेशन मुहिम अभियान की गति धीमी रहने और कंटेनमेंट की जगह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने को तरजीह दिए जाने की वजह से भारत में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैली है.
'द ऑस्ट्रेलियन' ने गुरुवार को फिर अपने 'विश्व' पेज पर भारत में कोरोना संकट को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की. रिपोर्ट में दिल्ली के अस्पतालों बेड और और ऑक्सीजन की कमी का जिक्र किया गया है.
jantaserishta.com
Next Story