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जनवरी में 40 साल बाद पहली बार कुवैत दौरें पर जा सकते है पीएम मोदी, निवेशकों को लुभाने और रक्षा सहयोग बढ़ाने की है रणनीति

Renuka Sahu
15 Dec 2021 3:12 AM GMT
जनवरी में 40 साल बाद पहली बार कुवैत दौरें पर जा सकते है पीएम मोदी, निवेशकों को लुभाने और रक्षा सहयोग बढ़ाने की है रणनीति
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फाइल फोटो 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कुवैत की यात्रा पर जा सकते हैं। खास बात यह है कि पिछले 40 सालों में देश के किसी प्रधानमंत्री की यह पहली कुवैत यात्रा होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कुवैत की यात्रा पर जा सकते हैं। खास बात यह है कि पिछले 40 सालों में देश के किसी प्रधानमंत्री की यह पहली कुवैत यात्रा होगी। बताया जा रहा है कि कुवैत जाने की पीएम मोदी की यह योजना पश्चिम एशिया के देशों से संबंधों को मजबूत करना और रणनीतिक साझेदारी को नए मुकाम पर ले जाने का एक रणनीतिक हिस्सा है। बता दें कि तेल के क्षेत्र में कुवैत एक संपन्न देश है और भारत में तेल सप्लाई का एक अहम स्त्रोत भी है। बताया जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी कुवैती निवेशकों को भारत आने का न्योता दे सकते हैं और इसके अलावा कुवैत से रक्षा सहयोग बढ़ाने की भी कोशिश रहेगी।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि पीएम मोदी जनवरी के पहले हफ्ते में कुवैत की यात्रा पर जा सकते हैं। इससे पहले साल 2015 में पीएम ने अन्य सभी 5 गल्फ देशों का दौरा किया था। उस वक्त पीएम कुवैत नही जा सके थे। बता दें कि करीब 1 मिलियन भारतीय कुवैत में हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कोशिश होगी।
भारत के कुवैत से प्रगाढ़ संबंध रहे हैं। जिस समय भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था, उस समय कुवैत ने बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपकरण भेजकर भारत की सहायता की थी। इतना ही नहीं, कुवैत के सपोर्ट के लिए धन्यवाद कहने के लिए पीएम मोदी द्वारा कुवैती अमीर शेख नवफ अल-अहमद को लिखी चिट्ठी खुद विदेश मंत्री एस. जयशंकर लेकर पहुंचे थे।
पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि 2022 की शुरुआत में पीएम दुबई 2020 एक्सपो का दौरा करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात के साथ-साथ कुवैत की यह यात्रा कई मायनों में अहम होने वाला है।
अगस्त 2015 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के निमंत्रण पर यूएई की अपनी पहली यात्रा के बाद से, पीएम मोदी की नजर पूरी तरह अबू धाबी के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही है। संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
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