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मनमोहन जैसे नहीं हैं PM मोदी, वो आखिरी समय तक नहीं मानेंगे हार : योगेंद्र यादव

Khushboo Dhruw
26 May 2021 6:19 PM GMT
मनमोहन जैसे नहीं हैं PM मोदी, वो आखिरी समय तक नहीं मानेंगे हार : योगेंद्र यादव
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योगेंद्र यादव का कहना है कि मोदी का करिश्मा अब खात्मे के कगार पर आ गया है।

स्वराज इंडिया के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले योगेंद्र यादव का कहना है कि मोदी का करिश्मा अब खात्मे के कगार पर आ गया है। इस समय़ देश को एक विकल्प की जरूरत महसूस होने लगी है। लेकिन उनका कहना है कि मोदी अपवने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह से काफी जुदा हैं। वो अपने अंतिम समय तक लड़ाई कर बाजी को पलटने की कोशिश करेंगे।

यादव का कहना है कि सातवीं साल गिरह पर मोदी सरकार का जो चेहरा देखने को मिल रहा है वो काफी मुरझाया है। कोरोना की दूसरी लहर ने सरकार की जो नाकामी की तस्वीर पेश की उससे लोग हैरत में हैं। उन्हें मोदी सरकार ने इस तरह की उम्मीद नहीं थी। लोगों ने जिस तरह से खुद को बचाने के लिए अस्पताल और सड़कों पर संघर्ष किया उसने सरकार पर सवालिया निशान लगा दिया है। मौतों के आंकड़े ने तो मोदी भक्तों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। वो भी मान रहे हैं कि संकट के समय में सरकार कहीं थी ही नहीं। मोदी की जो छवि गढ़ी गई थी वो तार तार होकर बिखऱ गई।
मोदी भक्तों को भी लगने लगा है कि पीएम का चीजों पर नियंत्रण नहीं है। सिस्टम उनके काबू से बाहर है। उन्हें लगता है कि मोदी जितने सशक्त दिखते थे वो एक मिथक था्। यादव का कहना है कि सीएए आंदोलन ने दिखाया कि मुट्ठी भर लोग किस तरह से सरकार को चुनौती दे सकते हैं। किसान आंदोलन ने सरकार की साख पर बट्टा लगाया तो ममता ने पीएम को चारों खाने चित्त करके बता दिया कि राजनीति में वो ही सब कुछ नहीं हैं। सात साल तक राज करने वाले मोदी को लगने लगा है कि परेशानियां तो हर किसी को घेरती हैं।
यादव का कहना है कि मोदी सरकार का हाल देखकर 2012 की याद आती है। कैसे मनमोहन सरकार अपना चार्म खोती चली गई। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार अपने झूठ के पहाड़ तले दबकर ही ढह जाएगी। विपक्ष को एकजुट होकर वेट वॉच की पालिसी पर चलना होगा। लेकिन वो ये भी मानते हैं कि विपक्ष एक होगा तो मोदी को ये कहने का मौका मिलेगा कि एक को मारने के लिए सारे इकट्ठे हो गए। इससे उन्हें फायदा भी मिल सकता है।
योगेंद्र कहते हैं कि बावजूद इसके विपक्ष को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ने से ही सफलता मिलेगी, लेकिन उसके लिए उन्हें एक चेहरा ऐसा चाहिए जो सभी दलों को एकजुट रख लोगों का भरोसा जीत सके। मोदी को हराने के लिए जरूरी है कि जुमलों के बजाए जनता को एक तस्वीर दिखाई जाए जिसमें सारी चीजें दुरुस्त कैसे की जाए इसका रोडमैप भी हो। अपनी बातें लोगों तक पहुंचाने के लिए संचार के साथ संगठन की भी जरूरत होगी।
उनका कहना है कि मोदी सरकार फिलहाल चुप्पी साधे है। उसे पता है कि लोग गुस्से में हैं। लेकिन वो मौका आने पर लोगों के बीच जाकर पलटवार करेगी। मोदी अपने पूर्ववर्ती की तरह आसानी से हार नहीं मानेंगे। वो आखिरी समय तक अपने अस्त्र शस्त्रों से हर उस चेहरे को खत्म करने की कोशिश करेंगे जो उन्हें चुनौती देकर सत्ता से बेदखल करने की कूव्वत रखता हो?


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