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ISRO वैज्ञानिकों को संबोधित करते PM मोदी हुए भावुक, किया बड़ा ऐलान

jantaserishta.com
26 Aug 2023 2:43 AM GMT
ISRO वैज्ञानिकों को संबोधित करते PM मोदी हुए भावुक, किया बड़ा ऐलान
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बेंगलुरु: पीएम ने कहा, ये चांद के रहस्यों को खोलेगा. साथ ही धरती की चुनौतियों के समाधान में भी मदद करेगा. मैं इस सफलता के लिए मिशन की पूरी टीम को बधाई देता हूं. मेरे परिवार जनों आप जानते हैं कि स्पेश मिशन के टच डाउन को नाम दिए जाने की परंपरा है. चंद्रमा के जिस हिस्से पर चांद उतरा है, भारत ने उसका नामकरण का फैसला लिया है. जहां लैंडर उतरा है, उस पॉइंट को शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा.
अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सफलता मिलकर रहेगी. आज भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसने चंद्रमा की सतह को छुआ है. ये सफलता तब और बड़ी हो जाती है, जब हम देखते हैं कि भारत ने अपनी यात्रा कहां से शुरू की थी. एक समय भारत के पास जरूरी तकनीकी नहीं थी. हमारी गिनती थर्ड वर्ल्ड यानी थर्ड रॉ में खड़े लोगों में होती थी. वहां से निकलकर आज भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. आज भारत की गिनती पहली पंक्ति में हो रही है. इस यात्रा में इसरो जैसी संस्थाओं की बड़ी भूमिका रही है. आपने आज मेक इन इंडिया को चांद तक पहुंचा दिया.
एक और नामकरण काफी समय लंबित है. चार साल पहले जब चंद्रयान-2 चंद्रमा के पास पहुंचा था. जहां उसके पद चिह्न पड़े थे. तब ये तय था कि उसका नाम दिया जाए. लेकिन उन परिस्थितियों को देखते हुए हमने तय किया था कि जब चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक पहुंचेगा तब हम दोनों चंद्रयान मिशन को नाम देंगे. आज जब हर घर में तिरंगा है. इसलिए चंद्रयान-2 ने जिस स्थान पर पदचिह्न छोड़े हैं, वो स्थान अब तिरंगा पॉइंट कहलाएगा. जहां चंद्रयान-3 का मून लैंडर पहुंचा है, वो स्थान आज से शिवशक्ति कहलाएगा.
मैंने वो तस्वीरें देखी हैं, जिसमें चंद्रयान-3 का लैंडर अंगद की तरह मजबूती से अपना पैर जमाया हुआ है. एक तरफ विक्रम का विश्वास है. दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है. मानव सभ्यता में पहली बार धरती के लाखों साल के स्थान पर पहली बार.... उस स्थान की तस्वीर मानव अपनी आंखों से देख रहा है. दुनिया को ये तस्वीर दिखाने का काम भारत ने किया है. ये आप सभी वैज्ञानिकों ने कर दिखाया. आज पूरी दुनिया हमारे वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजी का लोहा मान चुकी है.
भारत में आते ही जल्द से जल्द आपके दर्शन करना चाहता था. आप सबको सैल्यूट करना चाहता था. आपके परिश्रम को सैल्यूट है. आपकी जीवटता को सैल्यूट है. आपकी लगन को सैल्यूट है. आपके जज्बे को सैल्यूट करता हूं. इस दौरान पीएम मोदी की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा, आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हैं, वो साधारण नहीं है. हम वहां पहुंचे, जहां कोई नहीं पहुंचा. हमने वो किया, जो कभी किसी ने नहीं किया था. ये आज का भारत. निर्भीक और जुझारू भारत. ये वो भारत है, जो नया सोचता है. नए तरीके सोचता है. डार्क जोन में जाकर दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है. 21वीं सदी में दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान करेगा. 23 अगस्त का वो दिन... वो एक एक सेकेंड बार बार घूम रहा है. टच डाउन कन्फर्म हुआ. जिस तरह इसरो सेंटर से लेकर देशभर में लोग उछल उठे, वो दृश्य कौन भूल सकता है. कुछ स्मृतियां अमर हो जाती है. वो पल अमर हो गया. वो पल इस सदी के लिए प्रेरणादायी हो गया है.
व्यक्ति के जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं घटती हैं, जिनमें बेसब्री हावी हो जाती है. इस बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है. यहां आने की बेसब्री थी. मैं साउथ अफ्रीका में था. फिर ग्रीस चला गया. लेकिन, मेरा मन आपके साथ ही लगा हुआ था. कभी कभी लगता है कि मैं आप लोगों के साथ अन्याय कर देता हूं. बेसब्री मेरी और मुसीबत आपकी. सबेरे-सबेरे आप सभी को आना पड़ा. मन कर रहा था कि जाऊं और आपको नमन करूं. आपको दिक्कत हुई होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो देशों की यात्रा खत्म करने के बाद आज शनिवार को स्वदेश लौट आए हैं. वह ग्रीस से सीधे बेंगलुरु पहुंचे हैं. 40 साल में भारत के किसी प्रधानमंत्री की ये पहली ग्रीस यात्रा थी. पीएम मोदी से पहले 1983 में इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते ग्रीस का दौरा किया था. पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के बाद ग्रीस पहुंचे थे. यह यात्रा ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस के निमंत्रण पर आयोजित की गई थी.
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