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गंगा आरती में शामिल हुए पीएम मोदी

Nilmani Pal
13 Dec 2021 1:34 PM GMT
गंगा आरती में शामिल हुए पीएम मोदी
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यूपी। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती शुरू हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त क्रूज पर सवार होकर आरती के दर्शन कर रहे हैं. मंत्रोच्चार के साथ आरती की जा रही है. चारों ओर भक्तों का तांता लगा हुआ है. सभी श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहे हैं. जिसे जहां जगह मिली वो वहीं पर खड़े होकर आरती के दर्शन कर रहा है. बता दें कि पीएम मोदी रोल ऑन रोल ऑफ पर सवार हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफाईकर्मियों और कर्मचारियों के साथ लंच किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कर्मचारियों को धन्यवाद दिया.

पीएम मोदी ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा. ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का. अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं. हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी काशी ने करवल ली है देश का भाग्य बदला है. पीएम मोदी ने कहा कि हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं. चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरू शंकराचार्य को डोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया. ये वो जगह है जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की. छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे. रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है. भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद,पंडित रविशंकर, और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं इस स्मरण को कहां तक ले जाया जाए.

पीएम मोदी ने कहा कि काशी अहिंसा,तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है. राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य,रमानन्द जी के ज्ञान तक चैतन्य महाप्रभु,समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि कालांतर में आतताइयों की नजर काशी पर रही है. लेकिन यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं. अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं. और अंग्रेजों के दौर में भी, वारेन हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं. उन्होंने कहा कि आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए. औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है. जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की. लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है.

पीएम मोदी ने कहा कि काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है. काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है. जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है? पीएम मोदी ने कहा कि आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे, आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा. कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का, ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का. ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का. भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का. पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है. अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं. यानि पहले माँ गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम.

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