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फेसबुक-व्हाट्सएप की नये आईटी नियमों के खिलाफ याचिका, HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Kunti Dhruw
27 Aug 2021 3:58 PM GMT
फेसबुक-व्हाट्सएप की नये आईटी नियमों के खिलाफ याचिका, HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
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नये आईटी नियमों के खिलाफ सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट फेसबुक और व्हाट्सएप की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

नये आईटी नियमों के खिलाफ सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट फेसबुक और व्हाट्सएप की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। फेसबुक और व्हाट्सएप ने याचिका में केंद्र सरकार द्वारा बनाए नये आईटी नियमों को चुनौती दी है। नये नियमों के तहत फेसबुक, व्हाट्सएप सहित तमाम मैसेजिंग एप के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि पहली बार किसी संदेश/मैसेज को किसने भेजा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने मंत्रालय को मामले की अगली सुनवाई 22 अक्तूबर से पहले जवाब दाखिल करने के निर्देश दिया है। फेसबुक और व्हाट्सएप ने याचिका में केंद्र सरकार द्वारा जारी नये आईटी नियमों को चुनौती देते हुए कहा है कि यह कानून असंवैधानिक होने के साथ-साथ लोगों के निजता के अधिकार का हनन भी करता है। याचिका में नये आईटी नियमों को रद्द करने की मांग करते के साथ ही, जब तक याचिका लंबित है तब तक के लिए नये नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की भी मांग की है।
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि पक्ष रखने के लिए उनकी ओर से मुख्य अधिवक्ता उपलब्ध नहीं है, ऐसे में मामले में सुनवाई स्थगित कर दी जाए। फेसबुक और व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने इसका कड़ा विरोध किया। व्हाट्सएप की ओर से दाखिल याचिका में कहा है कि मध्यवर्ती संस्थानों के लिए सरकार या अदालत के आदेश पर भारत में किसी संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करने की अनिवार्यता उसके 'एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन' और इसके लाभों को जोखिम में डालती है। याचिका में नये आईटी नियमों के नियम 4 (2) को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने की मांग है।
याचिका में कहा गया है कि मैसेज की शुरुआत करने वाले का पता लगाने वाला प्रावधान असंवैधानिक है और निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। साथ ही कहा है कि मैसेज की शुरुआत करने वाले का पता लगाने की अनिवार्यता कंपनी को अपनी मैसेजिंग सेवा पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ ही इसमें अंतर्निहित गोपनीयता सिद्धांत को तोड़ने के लिए मजबूर करती है। साथ ही कहा कि इससे उन लाखों लोगों के निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
निजता नीति की जांच के आदेश के खिलाफ व्हाट्सएप की याचिका पर अक्तूबर में होगी सुनवाई
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा व्हाट्सएप की नई निजता नीति की जांच को जारी रखने के अपने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल व्हाट्सएप की अपील पर 11 अक्तूबर को सुनवाई करेगा। व्हाट्सएप ने अपील में उच्च न्यायालय के एकल पीठ के उस फैसले को रद्द करने की मांग की है जिसमें सीसीआई द्वारा शुरू की गई उसकी निजता की जांच पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था।
न्यायालय ने इसके साथ ही व्हाट्सएप और फेसबुक को सीसीआई द्वारा जारी 4 और 8 जून के नोटिस का जवाब देने के लिए तब तक का समय दिया। फेसबुक की स्वामित्व वाली व्हाट्सएप ने सीसीआई के उस नोटिस को भी चुनौती दी है जिसमें उनसे एप की नई निजता नीति की जांच के सिलसिले में कुछ सूचनाएं देने के लिए कहा गया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस मामले में 6 मई को केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
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