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नागालैंड में शांति वार्ता को सुगम बनाने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की योजना, जाने पूरा मामला
Renuka Sahu
17 Aug 2021 2:20 AM GMT
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फाइल फोटो
नगालैंड की पार्टियों ने नगा राजनीतिक मुद्दे (एनपीआई) के जल्द से जल्द समाधान के लिए राज्य में सर्वदलीय सरकार बनाने पर सहमति जताई
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नगालैंड की पार्टियों ने नगा राजनीतिक मुद्दे (एनपीआई) के जल्द से जल्द समाधान के लिए राज्य में सर्वदलीय सरकार बनाने पर सहमति जताई है. यह दूसरी बार है जब पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में सर्वदलीय सरकार होगी. ऐसी पहली सरकार 2015 में तब बनी थी जब आठ विपक्षी कांग्रेस विधायकों का तत्कालीन सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में विलय हो गया था.
नागालैंड संयुक्त सरकार के गठन पर फैसला वर्तमान सरकार पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) के सहयोगियों नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेस पार्टी (एनडीपीपी), बीजेपी और दो निर्दलीय विधायकों द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री नीबा क्रोनू ने कहा कि प्रस्तावित नागालैंड संयुक्त सरकार में प्रमुख विपक्षी दल एनपीएफ को शामिल करने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा हुई और सभी ने इसे सर्वसम्मति पास किया.
सरकार के सूत्रों के अनुसार, कुछ महीने पहले नगा शांति मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम रियो और विपक्ष के नेता जेलियांग के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में नगालैंड के विकास पर चर्चा हुई. इसमें शाह ने पार्टियों से शांति प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मिलकर काम करने को कहा था.
संयुक्त सरकार के गठन के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नेफियू रियो, उपमुख्यमंत्री यानथुंगो पैटन और विपक्ष के नेता टी आर जेलियांग के अलावा एनडीपीपी के पार्टी अध्यक्ष चिंगवांग कोन्याक, राज्य भाजपा प्रमुख टेम्जेन इम्ना अलोंग और एनपीएफ अध्यक्ष शुरहोजेली लीजित्सु सहित नौ विधायकों ने हस्ताक्षर किए. प्रस्ताव में कहा गया है कि एनपीआई एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो दशकों से लंबित है. इसके समाधान के लिए पार्टियों ने शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण राजनीतिक समाधान हासिल करने के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया है.
बता दें कि नगा आंदोलन को भारत का सबसे लंबे समय तक चलने वाला विद्रोह माना जाता है. 1997 में, सरकार ने सबसे बड़े नागा विद्रोही समूह, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (NSCN-IM) के साथ सीजफायर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. 2015 में, भारत-नागा राजनीतिक समस्या के समाधान के लिए एनएससीएन-आईएम और केंद्र के बीच बातचीत शुरू हुई.
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