![आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट का पायलट प्रोजेक्ट आज से आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट का पायलट प्रोजेक्ट आज से](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/11/21/2243025-aiims710x400xt.webp)
दिल्ली न्यूज़: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली की बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में उपचार के लिए आने वालों मरीजों की पर्ची चेहरे और अंगूठे के निशान से महज 10 सेकेंड में बन जाएगी। एम्स ने सोमवार से नए व अनुवर्ती मरीजों की पर्ची आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) से बनाने का फैसला किया है। पाॅयलट प्रोजेक्ट के तहत राजकुमारी अमृत कौर ओपीडी में शुरू होने वाली इस सेवा के लिए स्कैनर और क्यूआर कोड लगाए गए हैं। इसके अलावा बायोमेट्रिक (अंगूठे का निशान, फेस रीडिंग कर) साइन का भी इस्तेमाल पर्ची बनाने के लिए किया जाएगा। यह सुविधा केवल आभा आईडी वाले मरीजों को दी जाएगी। जिनके पास आभा आईडी नहीं होगी, वे काउंटर पर बनवा सकते हैं।
एम्स प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आभा आईडी में पहले ही मरीज की सभी जानकारी अपलोड होगी। ऐसे में जब वह पर्ची के काउंटर पर आएगा तो कार्ड पर बने क्यू आर कोड को दिखाकर, अंगूठे का छाप लगाकर या चेहरा दिखाकर पर्ची बनवा सकते है। इस दौरान उसे कोई जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी रोज हजारों मरीज आते हैं ओपीडी में : एम्स की ओपीडी में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। एम्स सूत्रों का कहना है कि नई सुविधा सुविधा होने के बाद इंतजार का समय आठ से दस गुना तक कम हो जाएगा। वहीं पर्ची पर नाम आदि की जानकारी गलत प्रकाशित होने की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
खुद भी बना सकते हैं अकाउंट: मरीज आभा के पोर्टल पर जाकर खुद भी आईडी बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें आधार नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर देना होगा। नंबर दर्ज करने के बाद उनके फोन पर ओटीपी आएगा। ओटीपी नंबर दर्ज करने के बाद आईडी बन जाएगा। वहीं, जिन लोगों के पास आईडी बनाने के लिए स्मार्ट फोन या कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है वे एम्स में अलग से बने काउंटर पर जाकर आईडी बनवा सकते हैं।
इमरजेंसी में बेहतर सुविधाओं से बच सकती है मरीज की जान: आपातकालीन विभाग में आने वाले गंभीर मरीजों को बेहतर व्यवस्था के तहत चिकित्सा सुविधा देकर बचाया जा सकता है। एम्स का ट्रामा सेंटर इस दिशा में बेहतर काम कर रहा है। यदि ट्रामा सेंटर की तरह अन्य अस्पताल भी ऐसी सुविधाएं देते हैं तो काफी मरीज की जान बच सकती है। एम्स के ट्रामा सेंटर में आने वाले मरीजों को उनकी स्थिति के आधार पर रेड, ग्रीन व यलो जोन में बाट दिया जाता है। उसी के आधार पर उन्हें बेहतर उपचार दिया जाता है। जर्नल ऑफ इमरजेंसी ट्रामा में प्रकाशित अध्ययन को एम्स की इमरजेंसी मेडिसिन विभाग ने किया। 15 हजार से अधिक मरीजों पर किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि अलग-अलग ग्रुप में बांटकर मरीजों को बेहतर सुविधा दी जा सकती है।