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सचिन पायलट का अपनी ही सरकार पर हमला, बोले- पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल क्यों नहीं

jantaserishta.com
11 May 2023 11:35 AM GMT
सचिन पायलट का अपनी ही सरकार पर हमला, बोले- पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल क्यों नहीं
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जयपुर (आईएएनएस)| पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने गुरुवार को अपनी ही सरकार पर तीखा हमला करते हुए सवाल उठाया कि पेपर लीक मामले में गिरफ्तार आरोपियों के घर पर अभी तक बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया। पायलट ने दस दिन पहले अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की थी। पायलट ने यात्रा के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया।
पायलट की अजमेर से पांच दिवसीय पदयात्रा पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर करने के लिए निकाली जा रही है, जो युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं।
पायलट गुरुवार सुबह ट्रेन से अजमेर पहुंचे। जयपुर रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि यह जन संघर्ष यात्रा लोगों के बीच जाकर उन्हें सुनने की यात्रा है।
यात्रा के पोस्टरों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। पोस्टरों से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा गायब थे, लेकिन केवल सोनिया गांधी की फोटो थी।
पायलट ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पेपर लीक जैसे मुद्दे युवाओं को प्रभावित कर रहे हैं। पहली बार किसी आरपीएससी सदस्य को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन कनेक्शन कहीं और हैं?
जब मैंने इस पर सवाल किया तो कहा गया कि इसमें कोई नेता या अधिकारी शामिल नहीं है। जब एक दलाल पर बुलडोजर चल सकता है तो इस आरपीएससी सदस्य कटारा के घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चल सकता?
उन्होंने फिर दोहराया कि यह यात्रा किसी के विरोध में नहीं है। यह यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ है। पहले कहा गया था कि इसमें कोई शामिल नहीं है, फिर कटारा पकड़ा गया। वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि पेपर लीक होने से कई लोगों को परेशानी हुई है। कुछ कार्रवाई की गई है, लेकिन मैं ठोस कार्रवाई के जरिए एक संदेश देना चाहता हूं। लोगों का विश्वास कमजोर नहीं होना चाहिए।
आगे कहा कि आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा पेपर लीक के आरोपी थे और उन्हें एसओजी ने गिरफ्तार कर किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, यह यात्रा अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ पायलट का दूसरा बड़ा हमला है। भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में अपनी ही सरकार द्वारा निष्क्रियता के विरोध में 11 अप्रैल को उन्होंने एक दिन का उपवास रखा था।
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