x
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के जबलपुर से इटारसी रेलखंड पर तवा नदी पड़ती है. इस रेल लाइन पर सबसे पुराना तवा ब्रिज (Tawa Bridge) और बागरातवा सुरंग का निर्माण ईस्ट इंडियन रेलवे और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के सिविल इंजीनियर रॉबर्ट मेटलैंड ब्रेरेटन ने किया था. इसे बनाने में 19 महीने लगे थे. इस ऐतिहासिक ब्रिज को 150 साल पूरे हो गए हैं.
यह देश के महत्वपूर्ण ब्रिजों में से एक है, या यूं कहें कि अहम धरोहर के रूप में है. यह ब्रिज तवा नदी पर तवा बांध से 7 किमी दूरी पर स्थित है. इसकी ऊंचाई 22 मीटर है. रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर इसके 150 साल के इतिहास को याद किया है.
रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर इस ऐतिहासिक ब्रिज के बारे में लिखा, 'भारतीय रेल के स्वर्णिम इतिहास को बयां करते सन् 1870 में निर्मित तवा रेलवे ब्रिज और बागरातवा सुरंग को 150 वर्ष पूरे हो गए हैं.'
ये रेलवे पुल नर्मदा घाटी की मिट्टी और तवा नदी के रेतीले तल को पार करता हुआ जबलपुर से इटारसी रेलखंड पर नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक तवा नदी पर स्थित है. यह ब्रिज एवं सुरंग आज भी रेल परिचालन में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
बता दें कि भारत के आजाद होने से पहले ईस्ट इंडिया रेलवे (EIR) और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (GIPR) ने ट्रेनें चलाने और रेल लाइन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. इन दोनों कंपनियों ने मिलकर 150 साल पहले, 1870 में मुंबई और कोलकाता के बीच पहली बार रेल संपर्क के लिए जबलपुर को जोड़ा था.
तवा ब्रिज और बागरातवा सुरंग आज भी सोनतलाई और बागरातवा स्टेशनों के बीच ट्रैक के आठ किलोमीटर के हिस्से पर है. इस खंड के दोहरीकरण का कार्य रेलवे ने फरवरी 2020 में पूरा किया है. वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे (West Central Railway) द्वारा तवा नदी पर एक अतिरिक्त नए तवा ब्रिज का निर्माण किया गया है.
भारतीय रेल के स्वर्णिम इतिहास को बयां करते सन 1870 में निर्मित तवा रेलवे ब्रिज और बागरातवा सुरंग को 150 वर्ष पूरे हो गए।
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) September 10, 2021
जबलपुर से इटारसी रेलखण्ड पर नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक तवा नदी पर स्थित यह ब्रिज एवं सुरंग आज भी रेल परिचालन में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। pic.twitter.com/XpaddSS2fY
Next Story