क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज जिस पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से न केवल भारत बल्कि पाकिस्तान-नेपाल-श्रीलंका और यूरोपीय देशों समेत दुनिया के तमाम जगहों के लोग परेशान हैं एक दिन ऐसा आएगा जब दुनिया में न तो पेट्रोल-डीजल होगा और न ही कोई देश या शहर इसका इस्तेमाल कर रहा होगा? हां ये सच है कि जिस तरीके से दुनिया तेजी से बदल रही है, ईंधन के प्रकार और उनकी उपलब्धता के हालात भी बदल रहे हैं. आज दुनियाभर में करोड़ों-अरबों गाड़ियां पेट्रोल और डीजल पर चल रही हैं. कई तेल उत्पादक देशों की आय का साधन ही पेट्रोल-डीजल बेचकर आया धन है लेकिन ऐसा हमेशा के लिए रहने वाला नहीं है. दुनिया एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है.
ग्रीन एनर्जी पर एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में अभी 1.2 अरब गाड़ियां हैं जिनकी तादाद 2035 तक 2 अरब तक हो जाएंगी. अभी वर्तमान में इनमें से कुछ प्रतिशत गाड़ियां ही पेट्रोल-डीजल के अलावा किसी और तरह के ईंधन से चलती हैं. लेकिन अब कई देश साल 2030 तक और अधिकांश देश साल 2045 तक पेट्रोल-डीजल मुक्त शहरों की ओर बढ़ने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं. अगर सबकुछ प्लान के मुताबिक चलता रहा तो आने वाले वक्त में हमारे शहर-गांवों में गाड़ियां पेट्रोल-डीजल की बजाय इलेक्ट्रिक-गैस-हाइड्रोजन और सोलर जैसी ग्रीन एनर्जी वाली ईंधन से चलेंगी. भारत में भी साल 2030 तक पेट्रोल-डीजल को फेजआउट करने का सरकार ने लक्ष्य रखा है यानी उसके बाद पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की बिक्री रोकने के प्लान पर सरकारें आगे बढ़ रही हैं.
साल 2016 तक दुनिया में कुल ऑयल रिजर्व 1.65 ट्रिलियन टन होने का अनुमान था. जो कि दुनिया की हर साल की जरूरतों का 46 गुना था. इसका मतलब पर्यावरणविद् ये लगा रहे थे कि दुनिया के पास और 47 साल का तेल बचा हुआ है यानी साल 2063 आते-आते दुनिया पेट्रोल-डीजल फ्री हो चुकी होगी या अगर थोड़ा-बहुत भंडार बचा भी होगा तो उसका इस्तेमाल करने वाली गाड़ियां हमारे पास नहीं होंगी. मतलब वो बीते वक्त की चीजें हो चुकी होंगी. यानी ईंधन की जरूरतों के लिए नए विकल्पों पर दुनिया निर्भर होगी.
आइए आपको बताते हैं कि दुनिया के उन 11 शहरों के बारे में जो पेट्रोल-डीजल मुक्त दुनिया की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
1. मैकिनैक आइलैंड ऐसे ही रोल मॉडल नहीं
प्रदूषण मुक्त-ट्रैफिक मुक्त और ईंधनों की मारामारी से मुक्त जिस दुनिया का सपना आज दुनिया के सारे शहर देख रहे हैं अमेरिका के मिशीगन के मैकिनैक आइलैंड ने उस सपने को पूरा करने का मिशन साल 1898 में ही शुरू कर दिया था जब सभी मोटराइज्ड गाड़ियों पर बैन लगा दिया गया. ये आइलैंड ट्रांसपोर्ट के लिए साइकिलों और हेरिटेज संजोए घोड़ा गाड़ियों यानी बग्घियों का इस्तेमाल करता है. अपनी परंपरागत पहचान के लिए यह शहर दशकों से दुनिया भर के प्रकृति प्रेमी टूरिस्ट्स के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. आज जब अन्य शहर खुद को प्रदूषण मुक्त बनाने की जंग लड़ रहे हैं ऐसे में यहां के लोगों को अपने पर नाज होना स्वाभाविक है.
2. वेनिस सिटी की बात ही कुछ अलग
घरों-दफ्तरों और स्कूल-कॉलेजों के आगे-पीछे से गुजरते जलमार्गों और शहर के बीचोबीच चलने वाले नावों, वाटरबसों और स्टीमरों के कारण खूबसूरत दिखने वाले इटली के वेनिस शहर को गाड़ियों से मुक्त शहर के सिंबल के रूप में दुनियाभर में देखा जाता है. शहर के बीच से हर जगह सड़कों की जगह नहरों का जाल बिछा हुआ है, लोगों के पास अपनी बोट हैं तो सार्वजनिक परिवहन के लिए भी बोट ही शहर में आने-जाने का यहां मुख्य जरिया है. यहां के लोग आवाजाही के लिए इन प्रदूषण फ्री साधनों का खूब बेफिक्री के साथ इस्तेमाल भी करते हैं. लेकिन ये तो उन शहरों की बात हुई जिन्होंने पहले से ही प्राकृतिक उपायों को अपना लिया था लेकिन आधुनिकता के प्रतीक ऐसे भी कई शहर हैं जिन्होंने ग्रीन एनर्जी अपनाने की ओर तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं... भारत जैसे देशों में अभी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री एक-दो प्रतिशत तक है लेकिन नॉर्वे जैसे कई देश इस दिशा में तेजी से आगे बढ़े हैं जहां इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री कुल कारों की बिक्री का 60 फीसदी तक पहुंच चुका है. 2025 तक नॉर्वे ने कार्बन उत्सर्जन वाली गाड़ियों से मुक्ति का टारगेट रखा है. नॉर्वे की राजधानी ओस्लो के अलावा दुनिया के कई शहरों ने प्रदूषण मुक्त फ्यूचर सिटीज बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं. तो अमेरिका ने साल 2035 तक 100 फीसदी कार्बन-फ्री इलेक्ट्रिसिटी का टारगेट रखा है. अमेरिका का कैलिफोर्निया 2035 तक गैसोलीन आधारित गाड़ियों और ट्रकों की बिक्री रोकने की तैयारी में जुटा है. वहीं, जर्मनी के कई शहरों ने 2018 से ही डीजल पर चलने वाली गाड़ियों को बैन करने का सिलसिला शुरू कर दिया था.
3. लंदन की कार फ्री स्ट्रीट
ब्रिटेन ने साल 2025 तक पेट्रोल बसों की और 2030 तक पेट्रोल कारों की खरीद पूरी तरह से बैन कर देने का लक्ष्य रखा है. इस आने वाले कल की झलक कैसी होगी ये देखना हो तो लंदन के ही बीच स्ट्रीट इलाके की ओर रुख करना चाहिए जहां अभी से ही पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारें बैन हैं. यहां इमरजेंसी गाड़ियों को छोड़कर किसी और गाड़ी को न तो एंट्री मिलती है और न ही पार्किंग की जगह. बल्कि सोलर, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन जैसे नए ईंधन विकल्पों से चलने वाली गाड़ियों के लिए पूरी सुविधाओं का यहां इंतजाम किया गया है. जाहिर है इस इलाके में रहने वाले लोगों के लिए पेट्रोल-डीजल के युग से आगे बढ़ जाना ही अब आखिरी विकल्प है.
4. पेरिस के कार-फ्री जोन
पेट्रोल-डीजल से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति के लिए फ्रांस का पेरिस शहर कई बदलावों की ओर बढ़ रहा है. यहां कई दिन कार फ्री डे के रूप में मनाए जाते हैं. इसके अलावा साल 2024 से शहर के अंदर की सड़कों को कार फ्री जोन के रूप में घोषित करने की तैयारी है. यानी लोग शहर के अंदर सिर्फ ग्रीन एनर्जी से चलने वाली सार्वजनिक परिवहन के साधनों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे. पेरिस के कई जिलों को कार फ्री जोन के रूप में विकसित करने के प्लान पर सिटी प्लानर आगे बढ़ रहे हैं. साल 2030 के बाद पेट्रोल और डीजल गाड़ियां यहां की सड़कों से पूरी तरह नदारद होंगी.
5. कोपेनहेगन की साइक्लिंग की तो दुनिया है कायल
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन अगले तीन सालों में जीरो एमिशन के टारगेट को पूरा करने की तैयारी में है. यानी प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों से पूरी तरह मुक्त. साइकिल इस शहर का फैशन स्टेटमेंट है. शहर भर में साइकिल लेन पूरी तरह सेफ्टी वाले बनाए गए हैं. ट्रैफिक सिग्नल पर साइकिलों को पहले प्रायोरिटी के साथ पास कराया जाता है. दफ्तर जाने वाले प्रोफेशनल हों या बिजनेसमैन, या बच्चों को स्कूल पहुंचाने वाले पैरेंट्स सब साइकिलों की सवारी पूरी शान से यहां करते हैं. शहर में कई स्टार्टअप लाइफस्टाइल की नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं जिन्होंने साइकिल-फ्रेंडली सड़कें, आधुनिक स्काई-स्लोप बनाकर लोगों के लिए साइकिलों से आवाजाही को और आसान बना दिया है.
6. वैंकुवर का फ्यूचर ट्रांसपोर्ट प्लान तो सबकों चौंका देगा
कनाडा के खूबसूरत शहर वैंकुवर ने 2050 तक खुद को तेल के इस्तेमाल से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. साल 2035 तक यहां पेट्रोल-डीजल पर चलने वाली कारें और छोटे ट्रकों को बैन करने का प्लान है. 2040 तक पेट्रोल-डीजल वाली सारी गाड़ियां यहां बैन होंगी और 2050 तक बाकी कामों में इनके इस्तेमाल पर भी बैन होगा. यहां बस ट्रांसलिंक, सी-बसेज, स्काई-ट्रेन जैसी आधुनिक सुविधाएं डेवलप की गई हैं जो पेट्रोल-डीजल से मुक्त ट्रांसपोर्ट सुविधाओं की ओर शहर को ले जा रही हैं.
7. ऑकलैंड की सड़कों का मैजिक
अगर आपके पास कार न हो और फिर भी आप शहर के हर लग्जरी इलाके को शान से घूमना चाहते हैं तो ये सुविधा आपको न्यूजीलैंड की राजधानी ऑकलैंड में देखने को मिल सकती है. शहर के सभी बड़े सेंटर्स को जोड़ने वाला रैपिड रेल नेटवर्क, इलेक्ट्रिक कारों-टैक्सियों, शहर के बीच चलने वाली छोटे क्रूज आपको हर लग्जरी का अहसास कराएंगे. यहां के लोगों को सार्वजनिक परिवहन की आदत डालनी ही होंगी क्योंकि ये शहर साल 2050 तक पेट्रोल-डीजल कारों और वैन को बैन करने की तैयारी में है. 2035 से तेल निर्यात को बैन करने की तैयारी है. इसके अलावा कारों के इस्तेमाल को घटाने के लिए पार्किंग फीस बढ़ाने, कंजेशन चार्ज बढ़ाने की तैयारी है. लोगों के पास नए विकल्प हों इसके लिए शहर में 2035 तक इलेक्ट्रिक और बैटरी पावर्ड लाइट व्हीकल पाथ-वे तैयार करने पर भी काम हो रहा है.
8. केपटाउन की सड़कों से गाड़ियां आउट
ट्रैफिक फ्री सड़कें, गाड़ियों के शोर से मुक्ति दिलाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन ने कई इलाकों को कार-फ्री जोन बना दिया है. इसकी शुरुआत CBD में सबसे प्रमुख स्ट्रीट को दोपहर के 2 बजे से रात के 11 बजे तक कार-फ्री बनाने के साथ हुआ. शहर के कई अन्य इलाकों में भी कार-फ्री जोन बनाने की तैयारी है ताकि शहर को प्रदूषण मुक्त करने के साथ-साथ लोगों को सड़कों पर ट्रैफिक जाम से भी मुक्ति दिलाई जा सके.
9. मैक्सिको सिटी की ज्यादा आबादी और प्रदूषण से जंग
मैक्सिको जो कि खुद पेट्रोलियम उत्पादन और निर्यात के लिए जाना जाता है वह भी पेट्रोल-डीजल कारों से मुक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है. साल 2019 से ही यहां डीजल गाड़ियों को कम करने की योजना शुरू हुई थी. इसके अलावा ईंधन में सल्फर की मात्रा घटाकर प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. यहां ज्यादा आबादी, ट्रैफिक जाम और ज्यादा प्रदूषण से मुक्ति के लिए प्रदूषण फैलाने वाले कारों को 2025 तक बैन करने का लक्ष्य इस शहर ने रखा है.
10. क्विटो का ओमिशन-फ्री विजन
पेट्रोल-डीजल कारों से प्रदूषण को रोकने के लिए इक्वेडोर के शहर क्विटो ने भी साल 2035 तक ऐसी गाड़ियों को बैन करने का प्लान बनाया है. यहां की कई कंपनियों ने सस्ती इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण के काम को तेज किया है ताकि बैन के बाद ट्रांसपोर्ट के इस लक्ष्य को पूरा किया जा सके और ट्रांसपोर्ट के लिए जरूरी कार्बन-फ्री गाड़ियां लोगों को मुहैया कराई जा सके.
11. बार्सिलोना सिटी प्लानिंग जैसा कहीं नहीं
स्पेन के बार्सिलोना शहर ने तो एक साथ शहर की सड़कों से 50 हजार गाड़ियों और मोटरबाइक को रेस्ट पर भेजने का प्लान तैयार किया है. ज्यादा पॉलुशन फैलाने वाली गाड़ियों को सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक शहर की सड़कों पर पूरी तरह बैन करने का प्लान इस शहर के प्लानर्स ने बनाया है. इस फैसले को सख्ती से लागू करने के लिए बैन की हुईं गाड़ियों को सड़कों पर पकड़े जाने पर गाड़ियों के मालिकों पर भारी जुर्माने के प्रावधान किए गए हैं. ऐसा अनोखा कदम जो किसी शहर में देखा भी नहीं गया हो वह इस शहर में लाया गया है. जो गाड़ी मालिक अपनी गाड़ियों को स्क्रैप में देने को राजी हुए उन्हें शहर प्रशासन ने फ्री-ट्रैवेल कार्ड T-verde ऑफर किया. जिसका इस्तेमाल वे बार्सिलोना शहर की मेट्रो, इंटरसिटी बस, ट्राम, ट्रेन और बाकी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में मुफ्त यात्रा के लिए कर सकेंगे. स्क्रैप में गाड़ी देने के बाद तीन साल तक नई गाड़ी नहीं खरीदने का नियम है और ऐसा करने वाले गाड़ी मालिकों के परिवार के अन्य सदस्यों को भी फ्री ट्रैवल कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है.
भारत में क्या है फ्यूचर ट्रांसपोर्ट की तैयारी?
न केवल अमेरिकी प्रायद्वीप और यूरोप के देश बल्कि प्रदूषण से जूझ रहे भारत जैसे विकासशील देशों ने भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. भारत ने भी इस नई दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए 2030 तक नए पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बिक्री रोकने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए तेजी से देश में इलेक्ट्रिक कारों और हाइड्रोजन कारों की लॉन्चिंग का सिलसिला शुरू हो गया है. न केवल कंपनियों की बड़ी तैयारी इस दिशा में है बल्कि सरकारें भी दफ्तरों के लिए गाड़ियों की खरीदारी में पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद को बढ़ाकर इस काम में तेजी लाने की ओर बढ़ रही हैं. इसके अलावा देश के तमाम शहरों में मेट्रो ट्रेन, बुलेट ट्रेन, हाइपरलूप ट्रेन, मोनो रेल, स्काई बसें जैसी नई ट्रांसपोर्ट सुविधाओं की शुरुआत की तैयारी भी जारी है जिससे लोगों को पेट्रोल-डीजल मुक्त ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिल सके.
चुनौतियां भी कम नहीं इस राह में
भारत में अभी कुल कार बाजार में सिर्फ 1 फीसदी इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी है. लेकिन साल 2025 तक इसके 15 फीसदी यानी 475 अरब रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है. हालांकि, इस सपने को पूरा करने के रास्ते में अच्छी सड़कें, बिजली की ज्यादा खपत और चार्जिंग स्टेशंस, दूरदराज के इलाकों में भी चार्जिंग सुविधाएं जैसी जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य शर्तें होंगी. इसके अलावा इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन कारों की भारी कीमतें भी पेट्रोल-डीजल मुक्त देश के रास्ते में बाधा बनेंगी जिनसे पार पाने की चुनौती न केवल भारत बल्कि दुनिया के बाकी शहरों के सामने भी होगी.