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मीडिया कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, फ्री मेडिकल सुविधा और मुआवजे की भी मांग

Deepa Sahu
1 Jun 2021 4:35 PM GMT
मीडिया कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, फ्री मेडिकल सुविधा और मुआवजे की भी मांग
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सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर कोविड-19 संक्रमण के दौरान काम करने वाले मीडिया कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा

सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर कोविड-19 संक्रमण के दौरान काम करने वाले मीडिया कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देने के साथ ही उन्हें फ्री मेडिकल सुविधा और मुआवजा देने के संबंध में एक अर्जी दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ये मांग की गई है कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान कई ऐसे पत्रकार हैं, जिन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर अस्पतालों और सरकारों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं, ऐसे में उनको केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सुविधा दी जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में ये अर्जी डॉक्टर कोटा नीलिमा की तरफ से दाखिल की गई है और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस अर्जी पर जल्द सुनवाई करेगा. कोरोना की दूसरी लहर में देश ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को खो दिया. जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार भी इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए. दिल्ली आधारित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 238 पत्रकारों की मौत हो चुकी है.
मई के महीने में हर रोज 4 पत्रकारों की मौत
रिपोर्ट बताती है कि कोरोना की पहली लहर में अप्रैल 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 56 पत्रकारों की मौत हुई, लेकिन दूसरी लहर ज्यादा भयावह साबित हुई. 1 अप्रैल 2021 से 16 मई की बीच 171 पत्रकारों ने दम तोड़ दिया. बाकी 11 पत्रकारों का निधन जनवरी से अप्रैल के बीच हुआ है. कोरोना से 300 से ज्यादा पत्रकारों का निधन हुआ है. इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की रिपोर्ट में उन सभी पत्रकारों को शामिल किया गया है, जो फील्ड में खबर एकत्रित करते हैं अथवा दफ्तरों में काम करते हुए कोरोना संक्रमित हुए हैं और उनकी जान चली गई है. इनमें मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर से लेकर स्ट्रिंगर. फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट तक शामिल हैं.
किस राज्य में कितने पत्रकारों का हुआ निधन
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में जिस रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, उस रिपोर्ट के मुताबिक 41 से 50 साल के बीच के पत्रकार सबसे ज्यादा कोरोना के शिकार बने हैं. कुल मौतों में इनका आंकड़ा करीब 31 फीसदी है. 31 से 40 साल के बीच के 15 फीसदी, 51 से 60 साल के 19 फीसदी, 61 से 70 साल के 24 फीसदी और 71 साल से ऊपर वाले 9 फीसदी पत्रकारों का कोरोना से निधन हुआ है. कोरोना संक्रमण से मरने वाले पत्रकारों में करीब 55 फीसदी प्रिंट मीडिया, 25 फीसदी टीवी और डिजिटल मीडिया और 19 फीसदी फ्रीलांस पत्रकारिता से जुड़े थे. डॉक्टर नीलिमा खुद एक पत्रकार रही हैं और उन्होंने ये आंकड़े अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खबरों से इकट्ठा कर वेरीफाई भी किए हैं.
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