भारत

दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका, सुसाइड के लिए बनाया गया है ये प्लान

jantaserishta.com
12 Aug 2022 5:58 AM GMT
दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका, सुसाइड के लिए बनाया गया है ये प्लान
x

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: बेंगलुरू की एक महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने दोस्त की यूरोप यात्रा पर रोक लगाने की मांग की है. दरअसल महिला का कहना है कि उसका दोस्त यूरोप में इच्छामृत्यु के लिए जाना चाहता है, जोकि भारत में अवैध है. याचिका में कहा गया है कि व्यक्ति मरणासन्न अवस्था में भी नहीं है.

बीते बुधवार को 49 वर्षीय महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा, उसका दोस्त साल 2014 से क्रोनिक फेटिग सिंड्रोम से पीड़ित है और कथित तौर पर एक डॉक्टर द्वारा सुसाइड के लिए परामर्श लेने के लिए स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा है. महिला ने खुद को मरीज का करीबी दोस्त बताया है और गुहार लगाई है कि अगर उसकी यात्रा को रोकने की अपील की अनुमति नहीं दी गई तो उसके माता-पिता और अन्य दोस्तों को बड़ा नुकसान होगा.
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, याचिका में बताया गया है कि मरीज फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन नामक इलाज के तरीके से इलाज करा रहा था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उसका इलाज जारी नहीं रह सका. याचिका में कहा गया है कि 2014 में उसके लक्षण शुरू हो गए और पिछले आठ वर्षों में उसकी हालत बिगड़ती चली गई, जिससे वह बहुत कमजोर हो गया और कुछ ही कदम चलने में सक्षम था.
महिला द्वारा दायर की गई याचिका में बताया गया है कि आदमी अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है, जो 70 के दशक में हैं और उसकी एक बहन है. याचिका के साथ जुड़े रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह उस मरीज और उसके परिवार के सदस्यों के साथ उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में लगातार संपर्क में रही है. उनमें कथित तौर पर उस व्यक्ति द्वारा याचिकाकर्ता को भेजा गया एक संदेश शामिल है.
याचिका में ये भी बताया गया है कि मरीज को भारत या विदेश में बेहतर इलाज के लिए किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं है, लेकिन वह इच्छामृत्यु पर जाने के अपने फैसले पर अडिग है. महिला ने याचिका में बताया कि रोगी ने बेल्जियम में इलाज की मांग के लिए शेंगेन वीजा प्राप्त किया था, जो 26 यूरोपीय देशों की यात्रा की अनुमति देता है. इसके साथ ही दावा किया गया है कि उसने इच्छामृत्यु से संबंधित जून में स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख की यात्रा की थी. याचिका के अनुसार, मरीज ने ज्यूरिख स्थित संगठन डिग्निटास के माध्यम से इच्छामृत्यु से गुजरने का फैसला किया है, जो विदेशी नागरिकों को सहायता प्रदान करता है.
बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर कोई व्यक्ति काफी बीमार है और वो बीमारी लाइलाज है, तो उसे ससम्मान मृत्यु का अधिकार है. यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि आखिर उसे कब लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाए. कोर्ट के अनुसार, 'लिविंग विल' के लिए व्यक्ति के परिवार या फिर करीबी व्यक्ति हाईकोर्ट में अपील कर सकता है. जिसपर हाईकोर्ट फैसला लेगा.


Next Story