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रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग पर याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को करेगा सुनवाई

Deepa Sahu
24 Feb 2022 10:17 AM GMT
रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग पर याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को करेगा सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर नौ मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर नौ मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की तीन-सदस्यीय के समक्ष राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। पीठ ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए नौ मार्च को सुनवाई करने का निर्णय लिया। इसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मामले को सुना जाना चाहिए, इसे सूची से हटाया नहीं जाए। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि नौ मार्च को तय किया जाएगा कि उसे मामले को आगे बढ़ाना है या नहीं?

तब स्वामी ने कहा कि केंद्र ने एक जवाबी हलफनामा दायर किया है और यह मामला लंबे समय से लंबित है। पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने निर्देश दिया था कि राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की मांग वाली याचिका को अगले सीजेआई एनवी रमण के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।
राम सेतु एक पुल है जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर चूना पत्थर की एक श्रृंखला है। यह दक्षिण भारत में रामेश्वरम के पास पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप तक जाता है। इस पुल का जिक्र महाकाव्य रामायण में है, जिसमें कहा गया है कि सीता को बचाने के लिए श्रीलंका पहुंचने के लिए भगवान राम द्वारा इस पुल का निर्माण किया गया था।
बहस के दौरान कागज पर कागज देने की आदत सुधारें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि बहस में कागजों पर कागज देने की आदत सही नहीं है। इसकी वजह से कई तरह की उलझनें पैदा होती हैं। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि कागजों पर कागज ऐसे दिए जाते हैं जैसे यह कोई डस्टबिन है।

यह आदत पूरी तरह बदलनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं है, एक सामान्य टिप्पणी है। यह आदत पूरी तरह बदलनी चाहिए। साथ ही बताया कि जब जज घरों से सुनवाई कर रहे हैं, इन कागजों के ढेर संभालना असंभव हो जाता है। और जब कोई कागज खो जाए तो पुनर्विचार याचिका दायर कर दी जाती है। सुनवाई में आए वकील ने कहा कि वह केवल दो निर्णयों के कागज पेश करेंगे जिन्हें बहस में आधार बनाया गया है। दूसरी ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इस मामले में करीब 200 याचिकाएं हैं। चूंकि अदालत ने स्थगन लगा दिया है, इसलिए कई बेहद गंभीर मामलाें में जांच प्रभावित हो रही है।


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